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विधानसभा ब्रेकिंग : सदन में विपक्ष का हंगामा, MLA के काफिले पर हमला मामले में विधायक के मंत्री के आरोप पर विपक्ष का हंगामा जारी….मंत्री और विधायक सदन से ग़ायब….विपक्ष ने कहा…..

छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र का आज से आगाज हो गया है । विधानसभा में दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई । विधायक बृहस्पत सिह के काफिले में हुए हमले का मामला आज विधानसभा मानसून सत्र में भी गूंज उठा । इस मुद्दे को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने उठाया । पूर्व मंत्री ने कहा कि किसी सदस्य द्वारा अपने ही पार्टी के मंत्री पर जान खतरे का आरोप लगने शर्मनाक है । भाजपा सदस्यों ने सदन में हंगामा किया ।

बता दें कि पांच दिनों के सत्र के लिए कुल 717 सवाल लगाए गए हैं। इसमें 375 तारांकित तथा 342 अतारांकित प्रश्न हैं। वहीं 76 ध्यानाकर्षण प्रश्न को सूचनाएं मिल चुकी है। सरकार 27 जुलाई को अनुपूरक बजट लेकर आएगी । बताया जा रहा है कि प्रमुख विपक्षी दल भाजपा आज पहले ही दिन प्रदेश में खाद-बीज की कमी पर काम रोककर चर्चा कराने का प्रस्ताव ला सकती है ।

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अपने ही दल के लोगो को सरकार सुरक्षित नही रख पा रही है । उन्होंने मांग रखी कि विधानसभा इस मामले की सदन की समिति से जांच कराए। नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। जबकि पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर ने इस मुद्दे पर विधानसभा को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करने का आग्रह किया। पूर्व मंत्री ने कहा सरकार पर आरोप है और आरोप लगाने वाला विधायक सत्ताधारी पार्टी का है।

मंत्री सिंहदेव और विधायक बृहस्पति सदन से ग़ायब
जो आरोपी सरकार है वो जवाब कैसे दे सकता है। आसंदी की ओर से निर्देश आए कि सरकार अपना पक्ष रखे लेकिन विपक्ष का हंगामा जारी रहा। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही पाँच मिनट के लिए स्थगित कर दी गई है। विपक्ष इस मसले को लेकर हंगामा कर रहा था मंत्री सिंहदेव और विधायक बृहस्पति सिंह सदन में नहीं थे। विपक्ष ने कहा कि कहाँ है दोनों । बुलवाइए पहले। हालाँकि क़रीब पंद्रह मिनट बाद दोनों ही आ गए।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सदन में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा समिति से जाँच कराएँ। हमारे विधायक को जान का ख़तरा है। यह संगीन मामला है। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। यदि मंत्री ने किया है तो जवाबदेही तय हो और यदि ऐसा नहीं है तो कौन है इसके पीछे तय हो। राजनैतिक इतिहास में यह ऐसी पहली घटना है। यह कांग्रेस ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

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