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पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का बड़ा बयान, भूपेश सरकार पर सीधा अटैक!….कहा – छत्तीसगढ़ में भू-माफियाओं की सरकार, बिलासपुर तो भू-माफियाओं की राजधानी…..इस प्रदेश में भू-माफियाओं को राजनीतिक, प्रशासनिक और रसूखदारों का संरक्षण

पूर्व राजस्व मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता अमर अग्रवाल ने राजस्व विभाग में बड़ी गड़बड़ियों को लेकर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, श्री अग्रवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाते हुए राज्य सरकार व अधिकारियों पर तीखा तंज कसा है । अग्रवाल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ बने दो दशक हो गए, पहले कभी ऐसी अव्यवस्था और अराजक स्थिति नहीं थी जो पिछले ढाई वर्षो में सरकार के ढुलमुल नीति के उत्पन्न हुई है जिसका परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में गांव, मजरों, टोलो से लेकर शहर राजधानी, न्याय धनी में भू माफियाओं बोलबाला है और जमीन जायदाद के कारोबार में शासन सत्ता के संरक्षण से आम लोगों का शोषण सामान्य बात हो गई है ।

अग्रवाल ने कहा है कि बिलासपुर ढाई सालों में अवैध प्लाटिंग और भू-माफियाओं की राजधानी बन चुकी है । जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आई है, तब से भू-माफिया सक्रिय हो चुके हैं, उनकी चांदी आई हो गई है। प्रदेश में सरकारी जमीन और किसी की भी निजी जमीन को अपने नाम करवाने का ट्रेंड चल रहा है । यह सब राजस्व अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के संरक्षण के बिना संभव नहीं है । उन्होंने कहा है कि भाजपा कार्यकर्ता आरटीआई के जरिए जानकारी निकालेंगे और कांग्रेस सरकार में अचानक ढाई सालों में उपजे विवाद और सीमांकन की आड़ में जमीन की अफरा-तफरी के मामलों को उजागर करेंगे ।

अग्रवाल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में राजस्व की व्यवस्थित नीति अपनाई । राजस्व संबंधी तार्किक नियमों और उपनियमों का समय-समय पर रिव्यू कर , सुधार कर जनता की सुविधा के लिए प्रतिबद्ध प्रयास द्वारा आवश्यक सुधारों को लागू किया गया। भाजपा की सरकार ने भू माफियाओं के मंसूबों को कभी हावी होने नही दिया। ढाई साल से कांग्रेस की सरकार ऐसा लगता है मानव भाँति भांति माफियाओं के लिए काम करने के लिए बनी हो। कांग्रेस की सरकार बनते ही 5 डिसमिल से छोटे सौदों को अनुमति देने से रजिस्ट्री की बाढ़ आ गई। ऑनलाइन रजिस्ट्री के समय बिना बटांकन के रजिस्ट्री की अनुमति दे दी गई जो सीमांकन संबंधी सारे फसाद की मूल जड़ है।

अग्रवाल ने कहा है कि शासकीय जमीनो की जिला कलेक्टर को 7500 वर्गफीट नीलामी का अधिकार देकर शासकीय जमीनों की खुली बंदरबांट हो रही है, इस खेल में आप सभी को पता है ऐसे लोग लाभान्वित हो रहे हैं जिनके पास पहले से ही अकूत मिल्कियत और संपत्ति है। सार्वजनिक संपत्ति के अपव्वय की इस कवायद के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में याचिका अंतर्गत शासन को जिलेवार ऐसे भूआवंटनों का ब्यौरा तैयार करने के लिए नोटिस किया गया है। आने वाले समय में आप पाएंगे इस बंदरबांट में क्या गुल खिलाए गए और कैसे सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग कर शासन सत्ता के संरक्षण में लोगों को उपकृत किया जा रहा है।

अग्रवाल ने कहा है कि आप सभी को भली-भांति पता है कि प्रदेश के विभिन्न शहरों के साथ बिलासपुर में भूमि जायदाद संबंधी विवाद के प्रकरण आये दिन समाचार की सुर्खियों में बने रहते हैं। राजस्व विभाग की गलत नीतियों के कारण और प्रदेश सरकार की अनदेखी के कारण ऐसा कोई दिन नहीं जाता होगा जिस दिन किसी शहर के किसी थाने में भू माफियाओं की करतूतों, जमीन विवादो के संबंध में, कब्जे मारपीट की घटना आदि के संबंध में रिपोर्ट न लिखाई गई हो।

अग्रवाल ने कहा है कि इन समस्याओं के मूल में जाकर आप देखे तो पाएंगे, बारह से पंद्रह साल के पुराने प्रकरणों को राजस्व विभाग के अफसरों की मिलीभगत से जबरिया खोलकर सुनवाई की जा रही है। अनेक ऐसे मामलों में दोबारा सीमांकन कराकर लोगों को परेशान कर ओने पौने दाम में जमीन बेचने पर मजबूर किया जा रहा है। ऐसे समस्त प्रकरणों की जिला प्रशासन को लिस्टिंग करके समुचित निराकरण करना चाहिए। शासकीय जमीन पर बेजा कब्जा आम बात हो गई है। जहां खाली शासकीय जमीन है, माफियाओं के द्वारा रिकॉर्ड में हेरफेर करा कर स्वयं की जमीन से संबंध बताते हुए ऐसे भूखंडों पर कब्जा किया जा रहा है, यह गंभीर मामला है । पिछले दिनों गरियाबंद जिले में राजस्व के पटवारियों की मिलीभगत से तहसील की जमीन को ही बेचने का मामला सामने आया, आप समझ सकते हैं स्थिति कितनी गम्भीर है?

अग्रवाल ने कहा है कि पारदर्शिता और शुचिता के मद्देनजर भाजपा की सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू की थी। बिना बटांकन के रजिस्ट्री नही की जा सकती थी, इसलिए सीमांकन संबंधी विवाद भी कम थे। कांग्रेस की सरकार ने बिना बटांकन के आनलाइन रजिस्ट्री की अनुमति देकर विवादों को न्योता दिया।बीजेपी के कार्यकाल में भी भू माफिया नियमो को अपने ढंग से लागू कराने के लिए जोर लगाते थे पर उनकी बात बनी नही। ऑनलाइन रजिस्ट्री की पारदर्शी प्रणाली आधारित को परिभाषित प्रक्रिया से विवाद कम होते थे। भाजपा की सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्री में बटांकन,बी 1 खसरा को अनिवार्य बनाया ,इसके अभाव में रजिस्ट्री नहीं की जा सकती थी।

अग्रवाल ने कहा है कि आजकल किराए की जमीन को 10ः में खरीद कर शासन सत्ता के संरक्षण में खाली कराने का धंधा जोरों से चल रहा है जिसके कारण भी आए दिन विवाद होते रहते हैं। भूमाफिया भी जोर शोर से सारे विषयो पर छूट के लिए लगे रहते थे, कांग्रेस सरकार ने जनता के हित की बजाय भू माफियाओं के संरक्षण में नियमो को परिवर्तित कर दिया जिससे आए दिन विवाद की स्थिति खड़ी होती है।

अग्रवाल ने कहा है कि अवैध प्लाटिंग का काम जोरो से चल रहा है बिना लेआउट,बिना डायवर्शन के लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं और अपनी जीवन भर की कमाई मध्यम वर्ग के लोग ऐसे धंधे वालों के चपेट में आकर व्यर्थ कर रहे हैं। उक्त मामले में दर्ज प्रकरणों पर कार्यवाही केवल कागजो में हो रही है। नदी नालों के किनारे ग्रीन बेल्ट की जमीन को भी निजी जमीन बताकर निर्माण किये जाने के मामले सामने आए हैं (सकरी गोकना नाला वाला मामला आदि अनेक प्रकरण) जिसमें बिल्डरों के द्वारा सार्वजनिक प्रयोजन के लिए विहित जमीन को भी नही छोड़ा जा रहा है।

आप सभी को बताना चाहूंगा सार्वजनिक उपयोग के लिए निस्तार पत्रक को पूर्ण किए बिना भूमि क्रय विक्रय सम्बंधी सौदों को मंजूरी दिए जाने से भी आम लोगों को अनेकों कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है । राजस्व विभाग को चाहिए कि बंदोबस्त प्रणाली लागू होने के समय से शासकीय भूमि का चिंतन कराएं एवं सार्वजनिक प्रयोजनों के निस्तारित भूखंड का यथोचित चिन्हाकन हो, सौदे के उल्लेख में निस्तार विवरण अवश्य दिया जाए।

अग्रवाल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासन काल में भू माफियाओं को कभी तरजीह नहीं दी, राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गौर करे तो आज आप पाएंगे कि राजस्व के अमले को जमीन जायदाद के कारोबार के लिए जिलेवार ठेके पर दे दिया गया हो।

अग्रवाल ने कहा है कि झूठी घोषणाओं के पुलिंदों पर ढाई साल पहले कांग्रेस सरकार ने जमीन कारोबारियों के हिसाब से नियमों को बदलना शुरू किया फलतः आज समूचा राज्य , न्यायधानी सहित भू माफियाओं के शिकंजे में जकड़ में आ गया है, ऐसा लगता है कि सरकार मंशा ही गड़बड़ियों को प्रोत्साहन दिया जाना , इसीलिए जान बूझकर नियमो में जनता के हितों से किनारा कर फेरबदल किए गए, परिणाम स्वरूप सीमांकन सम्बन्धी विवाद, रजिस्ट्री के घोटाले, जमीनों पर कब्जे के मामले बढ़ रहे है और अब तो यह कारोबार गैंगवार का स्वरूप ले चुका है। किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना की आशंका सदैव बनी रहती है।

मुख्यमंत्री एवं राजस्व मंत्री से आग्रह है कि विभागीय नियमों में युक्तिसंगत फेरबदल कर उन्हें लोक हितकारी बनाया जाए जिसका लाभ जनता को मिले ना कि माफियाओं को। बिना किसी अपील के लोगों के भू सौदों के 15- 15 साल पुराने प्रकरणों को खोल कर उन्हें अनावश्यक परेशान न किया जाए।बंदोबस्त लागू होने के समय से शासकीय भूमि का व्यवस्थित चिन्हाकन किया जाए। राजस्व के अधिकारी कर्मी आम जनता के हितार्थ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें और भू माफियाओं के साथ संलिप्त सेवको के विरुद्ध कार्यवाही की जाय।

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