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दुखद खबर : नहीं रहे छत्तीसगढ़ के मशहूर जनकवि व साहित्यकार लक्ष्मण मस्तूरिया, बिलासपुर के मस्तूरी में हुआ था जन्म

छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक जागरण की एक नयी यात्रा की शुरुआत करने वाले प्रदेश के जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया का शनिवार को निधन हो गया, बताया जा रहा है कि आज उनके सीने में अचानक दर्द हुई इस दौरान उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था इसी दौरान  उनका निधन हो गया, जनकवि मस्तुरिया वायरल पीड़ित थे |

लक्ष्मण मस्तुरिया जनकवि होने के साथ ही साथ वर्तमान में राजकुमार कॉलेज रायपुर में प्रोफेसर थे, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तुरी की माटी में सात जून 1949  को जन्मे लक्ष्मण महज बाईस साल की उम्र में प्रसिद्ध सांस्कृतिक-संस्था ‘चंदैनी गोंदा ‘ के मुख्य गायक बन चुके थे, रामचंद्र देशमुख इसके संस्थापक थे उन्होंने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक-पहचान को और आंचलिक-स्वाभिमान को देश और दुनिया के सामने लाने के लिए लोक-कलाकारों और कवियों को एक छत के नीचे लाकर दुर्ग जिले के अपने गाँव बघेरा में इसकी बुनियाद रखी |

कई फिल्मों के लिए गीत और पुस्तक लिखे

मस्तुरिया ने प्रकाशित पुस्तकें हमू बेटा भुइयां के, गंवई गंगा, धुनही बंसुरिया, माटी कहे कुम्हार से जैसे कई पुस्तके लिखी है,इसके साथ ही म्यूजिक इंडिया के उनके अनेक गीतों पर कैसेट निकले,छत्तीसगढ़ फिल्म मोर छुइंया भुइंया के गीत लिखे है.उनके लिखे गीत बहुत ही प्रसिद्ध हुए है मोर संग चलव रे,भारत माता के बेटा जैसे कई गीत आज भी लोगो की जुबान में है,

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