नए क्रिमिनल लॉ एक जुलाई से होंगे लागू : धोखाधड़ी करने वाला ‘420’ नहीं 316 कहलाएगा, 302 नहीं रहेगी हत्या की धारा… आपराधिक कानून में क्या-क्या हुए हैं बड़े बदलाव, जुर्म और सजा से जुड़ी हर डिटेल्स जानिए
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू करने की घोषणा कर दी है। ये कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) की जगह लेंगे। नए कानूनों में कई अहम बदलाव भी किए गए हैं, जैसे राजद्रोह को हटाया गया है। आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है। यौन अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इन कानूनों का उद्देश्य लीगल सिस्टम को मॉडर्न जरूरतों के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।
एक जुलाई से लागू होंगे नए कानून
देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में जरूरी बदलाव के मद्देनजर एक जुलाई से तीन नए कानून लागू होंगे। ये तीन कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं। ये कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), इंडियन एविडेंस एक्ट और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेंगे। तीनों नए कानूनों को पिछले साल मानसून सत्र में लाया गया था और 21 सितंबर को संसद से इसे मंजूरी मिली। उसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस पर मुहर लगा दिया था। जानिए नए कानूनों में क्या बदलाव हुए हैं।
IPC-CrPC से कितने अलग हैं ये नए कानून
आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, वहीं आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह, सीआरपीसी की जगह लेने वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पिछली 484 की तुलना में 531 धाराएं हैं। इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं। ये पिछले कानून IEA में166 से थोड़ी अधिक हैं। नए कानून में कई बड़े बदलाव भी किए गए हैं। इसमें राजद्रोह वाले प्वाइंट को हटाया गया है। हालांकि, सशस्त्र क्रांति, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्यों के कारण होने वाले राजद्रोह को अभी भी क्रिमिनल अफेंस माना जाएगा।
अमित शाह ने बताया नए कानूनों में क्या है खास
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि राजद्रोह तभी लागू होगा जब यह राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और एकता के खिलाफ हो, न कि केवल सरकार के खिलाफ। सरकार की आलोचना करने की अनुमति है, लेकिन देश के झंडे, सुरक्षा या संपत्ति में हस्तक्षेप करने पर जेल हो सकती है। नए कानून आतंकवादी गतिविधियों को भी परिभाषित करते हैं जो केंद्र सरकार, किसी भी राज्य, विदेशी सरकार या अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पहली बार टेररिज्म को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।
राजद्रोह को हटाया गया, आतंकवाद पर सख्त एक्शन
नए कानूनों के तहत, जो भी शख्स देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीली गैस जैसे खतरनाक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें आतंकवादी माना जाएगा। इसमें खास बात ये है कि अगर कोई आरोपी शख्स भारत से बाहर भी छिपा हुआ है तो भी उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अगर वो 90 दिनों के भीतर कोर्ट में पेश होने में विफल रहता है, तभी केस चलेगा। ऐसे मामलों में, आरोपी शख्स की अनुपस्थिति में केस चलेगा और अभियोजन के लिए एक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया जाएगा।
लड़कियों और बच्चों पर अपराध में सख्ती
नए कानून में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामलों का भी जिक्र है। दंड संहिता में नरम प्रावधानों का फायदा उठाने से आरोपी व्यक्तियों को रोकने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले को पॉक्सो के साथ जोड़ा गया है। ऐसे केस में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है। गैंगरेप के मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कुल मिलाकर, नए कानूनों को लागू करने का उद्देश्य लीगल सिस्टम को मॉडर्न जरूरतों के अनुरूप लाना और राष्ट्र की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है।