राजनीति

न्यायधानी की सियासत : अपनी ही जड़ में मट्ठा डालने लगे कांग्रेसी, राहुल गांधी इन्हें समझाइए…. यह अपमान शैलेश का नहीं कांग्रेस और शहर की जनता का है….

किसी भी राज्य में कांग्रेस जीतने के बाद क्यों सत्ता से बाहर हो जाती है? इसका कारण देखना हो तो बिलासपुर आइए । जो कांग्रेस 20 साल से जीत का स्वाद चखने को तरस रही थी उसे विजय का तमगा दिलाने वाले विधायक शैलेश पांडेय को कांग्रेस के ही तथाकथित नेता अपमानित करने से नहीं चूक रहे हैं । उन्हें नहीं मालूम कि यह शैलेश पांडेय का नहीं न्यायधानी के लाखों लोगों की भावनाओं का अपमान है जिन लोगों ने उन्हें चुनकर विधानसभा भेजा है ।

अभी कुछ दिन ही हुए हैं जब कांग्रेस भवन में राजस्व मंत्री के सामने शहर विधायक को अपमानित करने का मामला सामने आया था । ताजा मामला 26 जनवरी को होने वाले मुख्य समारोह में सलामी लेने का है । राज्य के सभी जिलों में मुख्य समारोह की सलामी लेने के लिए जारी सूची में बिलासपुर के लिए शहर विधायक शैलेश पांडेय के होते हुए तखतपुर की विधायक रश्मि सिंह के नाम की घोषणा की गई है । इस घोषणा के बाद बिलासपुर में शहर के लोगों के बीच चर्चा का दौर शुरू हो गया । अनेक संस्थाओं ने सोशल मीडिया पर राज्य सरकार की आलोचना की और इस फैसले को शैलेश पांडेय के साथ-साथ शहर की जनता का अपमान बताया ।

सच भी है बिलासपुर के लोगों ने शैलेश पांडे को अपना प्रतिनिधि चुना है और हर व्यक्ति चाहता है कि उनका जनप्रतिनिधि शासकीय समारोह का अतिथि हो । कांग्रेस को ना जाने क्या सूझी उन्होंने तखतपुर की विधायक को बिलासपुर में समारोह का मुख्य अतिथि बना दिया, जबकि पड़ोसी जिले मुंगेली में विधायक की जगह जिला पंचायत अध्यक्ष को यह जवाबदारी दे दी गई । साफ जाहिर है कि कांग्रेस के स्थानीय तथाकथित नेताओं के साथ राजधानी के कुछ नेताओं की मानसिकता अच्छी नहीं है । वे जनता की भावनाओं को छोड़कर अपनी निजी दुश्मनी निभाने में लगे हैं ।

शैलेश पांडेय ने बिलासपुर में भाजपा के गढ़ को ढहाया है वह भी ऐसा गढ़ जिस पर शहर के कांग्रेसी 20 साल से सेंध तक नहीं लगा पा रहे थे । कई कांग्रेसी तो फूल छाप बन चुके थे । यह फूल छाप कांग्रेसी और उनके परिवार के सदस्य चुनाव की आखिरी रात तक भाजपा का काम करते रहे और शैलेश पांडेय की विजय के साथ ही तिरंगा लपेटकर सीना तान कर निकल पड़े ।

दुर्भाग्य यह है कि अब यही कांग्रेसी अपने आप को सबसे बड़ा संगठन हितैषी बता रहे हैं । वे जानते हैं कि पार्षद का चुनाव तक जीतना उनके लिए मुमकिन नहीं है लेकिन शैलेश पांडेय ने उन्हें यह सम्मान दिला दिया । इस फैसले की युद्ध स्तर पर हो रही आलोचना से साफ है कि शहर की जनता अब भी शैलेश पांडेय को अपना जनप्रतिनिधि मानती है और उनकी उपेक्षा को अपना अपमान मानती है । इस अपमान का बदला जनता क्या देगी यह तो बाद का समय बताएगा लेकिन यह विचारणीय प्रश्न जरूर पार्टी के बीच उठना चाहिए कि क्या राहुल गांधी के बनाए कैंडिडेट का स्थानीय लोग इसी तरह सम्मान करेंगे ? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने शैलेश पांडे का चयन किया था और उनका चयन का आधार कितना मजबूत था यह इसी बात से जाहिर होता है कि एक झटके में शैलेश ने अमर अग्रवाल जैसे दिग्गज नेता को 11 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित कर दिया ।

राहुल गांधी तक यह संदेश भेजने वाले शैलेश समर्थक कह रहे हैं कि क्या राहुल गांधी के प्रतिनिधि के साथ उनके संगठन के कुछ नेताओं को उनका अपमान करने का अधिकार है? दरअसल हालत यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी का चाल चरित्र बदलना चाहते हैं लेकिन समस्या यह है कि जमीनी तौर पर अभी भी पार्टी ऐसे लोगों के हाथ में है जो इसे घर-घर तक बदनाम कर चुके हैं । इसके नेता ऐसे हैं जिन्हें पब्लिक देखना पसंद नहीं करती है । यही वजह है कि एक नान पॉलीटिकल नाम आते ही लोग कांग्रेस के साथ हो चले क्योंकि जनता की मानसिकता कांग्रेसी है पर क्या करें….ऐसे चेहरे सामने आते हैं कि जनता फिर मुंह मोड़ लेती है । बड़े वर्ग के बीच यह चर्चा है कि कांग्रेसी अपने इन्हीं कर्मों के कारण पिछड़ती है । राहुल गांधी को अब इस और ध्यान देना चाहिए वरना एक बार फिर कांग्रेस हाशिए पर चली जाएगी ।

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