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गरीब पत्रकारों के लिए नहीं था बजट और करोड़ों लुटा दिए कंपनियों को, “रमन का चेहरा” चमकाने के नाम पर हुआ करोड़ों का घोटाला

एक तरफ राज्य में जब जमीनी पत्रकार अपनी सुरक्षा के लिए मारे मारे फिर रहे थे तब राज्य की रमन सरकार मीडिया के जरिए अपना चेहरा चमकाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही थी । इस सरकार के पास गरीब पत्रकारों के इलाज के लिए पैसे नहीं थे, उन्हें झोपड़ी बनाने के लिए जमीन देने के लिए बजट नहीं था । राज्य के छोटे पत्रकारों को दिहाड़ी मजदूर के बराबर वेतन दिलाने के लिए पैसे और ताकत नहीं थी, लेकिन घोटाले का खेल देखिए…देश भर की कंपनियों ने रमन सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य के खजाने से करोड़ों निकाल लिए । इसके एवज में राज्य को कुछ हासिल नहीं हुआ । जितना गरीबों और जनता के लिए दिया गया उससे ज्यादा अपने करीबियों को राज्य के बाहर लुटा दिया गया । दिलचस्प बात तो यह है कि भ्रष्टाचार करने वाले उन्हीं अधिकारियों के हाथ अब भी बंधे नहीं है । कुछ तो जांच समितियों में भी शामिल हैं । ऐसे में राज्य सरकार के लिए यह चुनौती का विषय हो सकता है कि जनता का पैसा लुटाने वाले इन कसूरवारों और लूटने वाली एजेंसियों पर कार्रवाई कैसे होगी।

यह खबर राहत देने वाली हो सकती है कि राज्य की छत्तीसगढ़िया भूपेश सरकार ने डॉ रमन सिंह का चेहरा चमकाने की कवायद में लगी 48 फर्मों और एजेंसियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है । यह कंपनियां सरकार या राज्य के हित में काम नहीं कर रही थी । इनका केवल एक मकसद था कि डॉ रमन सिंह को देश का सबसे संवेदनशील, लोकप्रिय और जनकल्याणकारी योजनाकार साबित किया जा सके । इसके एवज में कंपनियां दिल खोल कर लूट रही थी और जनसंपर्क व संवाद में कार्यरत अधिकारी कमीशनखोरी कर रहे थे । सिस्टम सिर्फ यह था कि जिस एजेंसी से कमीशनखोरी सेट हो गई उसे खजाने का रास्ता दिखा दिया जाए । याद कीजिए रमन सरकार के आखिरी कार्यकाल में राज्य भर के पत्रकार त्राहि त्राहि कर रहे थे । बस्तर से सरगुजा तक पत्रकारों के कत्ल हुए । आज तक कातिल नहीं पकड़े गए । उन पत्रकारों के परिवार आज दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं । इसी तरह अनेक पत्रकारों के खिलाफ राजनीतिक विद्वेष वश मामले दायर करवा दिए गए । वह पत्रकार अपनी सुरक्षा के लिए भागे भागे फिर रहे हैं । अनेक पत्रकार ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दरवाजे जा जा कर एड़ियां घिसते रहे लेकिन उनके परिजनों के इलाज के लिए सरकार के पास रकम कम पड़ गई । ऐसे भी पत्रकार संगठन है जो जमीनी पत्रकार साथियों के लिए जमीन के टुकड़े के लिए तरसते रहे । दूसरी तरफ हिसाब किताब देखिए करोड़ों रुपए तो केवल बल्क एसएमएस के नाम पर एजेंसी को दे दिए गए।48 फर्मों का तो नाम सामने आया है, अभी ऐसे कई नाम सामने आने बाकी हैं जिन्हें रमन सरकार ने केवल अफसरों की दलाली करने के एवज में खूब रकम दी।

जांच और कार्रवाई दोनों जरूरी :

अब जब परत दर परत घोटाले सामने आ रहे हैं तब यह जरूरी हो जाता है कि भूपेश सरकार इस पूरे प्रकरण की पारदर्शिता के साथ जांच कराए । जांच ऐसी एजेंसी व अधिकारी की अध्यक्षता में होनी चाहिए जो इन भ्रष्टाचारियों के प्रभाव से दूर रहे । अब तक जो सूचनाएं सामने आई हैं उसके मुताबिक पहली ही जांच समिति में कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध है । कुछ ऐसे अफसर भी हैं जो इन सारी एजेंसियों को लाभ दिलाने में लगे थे । उन्हें जांच से अलग करना चाहिए। जिन कंपनियों को भुगतान किया गया है उनके कामों की जांच इस बिंदु पर भी होना चाहिए कि उन्होंने इतना काम किया भी है या नहीं । सुना यह भी जा रहा है कि जनसंपर्क की राशि से भाजपा ने पार्टी के लिए खूब काम कराया है । क्या सरकार के पैसे से किसी दल विशेष का काम कराया जाना उचित है । यह तथ्य भी उजागर होना जरूरी है।साथ साथ यह भी जरूरी है कि एक पारदर्शी नीति बनाई जाए।इसमें छत्तीसगढ़ के लोगों को रोजगार मिले और छत्तीसगढ़ के जमीनी पत्रकारों को लाभ मिले। सरकारें यह भूल जाती है कि बड़ी एजेंसी व कंपनियों के मालिक ही राज्य मे नहीं है।ऐसे छोटे और मझोले अखबार निकालने वाले या काम करने वाले भी हैं जिनका जीवन यापन इस व्यवसाय से चल रहा है।सही मायने मे जनता के करीब यही लोग हैं,लेकिन उन्हीं की अनदेखी की जाती है और वह लोग मालामाल होते हैं जिनका राज्य से व राज्य की जनता से कोई सरोकार नहीं होता ।

इन एजेंसियों की हुई थी नियुक्ति

बल्क एसएमएस, वॉइस कॉल सर्विस, कंसोल इंडिया कम्युनिकेशन, वीवा कनेक्ट प्रा.लि. मुंबई व नेट एक्सेल हैदराबाद-5,28,23,906 , मैनेजमेंट ऑफ सोशल मीडिया, क्यूब्स इंडिया एंड ब्रांडिंग प्रा.लि. रायपुर – 66,55,101, डिजिटल मीडिया एडवाइजर,मूविंग पिक्सल प्रा.लि. अहमदाबाद 1,18,00,000, एवी एंड क्रिएटिव मेकिंग फॉर सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म, मूविंग पिक्सल प्रा.लि अहमदाबाद – 4,94,32 ,000, समाचार चैनलों के अवलोकन कार्य, एसबी मल्टीमीडिया प्रा.लि   रायपुर-3,31,57,998 , मोबाइल एप्प कम ओटीटी चैनल के लिए निविदा- एसबी मल्टीमीडिया प्रा.लि  रायपुर 6,50,96,666, सरकारी कर्मचारियों को सुरक्षित मैसेजिंग सर्विस- पेलोरस टेक्नालॉजी प्रा.लि मुंबई,  इवेंट मैनेजमेंट एजेंसी- टचवुड इंटरटेनमेंट नई दिल्ली, फ्यूचर वीज एडवाइजर प्रा.लि, सेवेंटी सेवेन इंटरटेनमेंट मुंबई, व्यापक इंटरप्राइजेस रायपुर-25,11,०१,615 ,एड फैक्टर प्रा.लि. मुंबई, विनायक एडवाइजर – 1,08,82,134, एएस एडवाइजर 1,80,31,226, विकल माउंटेड एलईडी के जरिए प्रचार प्रसार – वीडिया वाल इंडिया प्रा.लि. मुंबई -5,27,49,075, व्यापक इंटरप्राइजेस रायपुर- 7,54,65,060, टचवुड इंटरटेनमेंट नई दिल्ली 8,59,38,904, फीडबैक एनालिसिस – एक्सिस माय इंडिया प्रा.लि -2,24,05,424, वॉर रूम स्ट्रेटजी अहमदाबाद -4,63,95,717, इंटिगर मैनेजमेंट सर्विसेस नई दिल्ली, दस्तावेजीकरण कर सामग्री निर्माण – स्केल वन मेसर्स ग्रीन कम्यूनिकेशन दिल्ली -40,12,000, मेसर्स वॉर रूम स्ट्रेटजी अहमदाबाद, थ्री-डी प्रिंटेड मटेरियल -मेसर्स टेक्नोविजन प्रा.लि मुंबई-4,23,907,सीनियर एडवाइजर प्रकाशन एवं साहित्य की सेवा – संगीता एम, रसैली मिश्रा, सूरजपुर मध्यप्रदेश-16,17,108,एडवटाइजर डॉक्युमेंटेशन एंड आर्चिविंग की सेवा – सत्येंद्र खरे भोपाल -12,48,820, सोशल मीडिया मैनेजमेंट एवं प्रमोशन- मेसर्स यूएनडीपी नई दिल्ली – 1,41,10, 501, विभिन्न विभागों का सोशल मीडिया मैनेजमेंट – नेशनल इंफरमेटिक्स सेंटर सर्विसेस निक्सी-2,05,94,063, कम्यूनिकेशन एंड क्रिएटिव सपोर्ट एजेंसी की सेवा- मेसर्स बैटर कम्यूनिकेशन  प्रा.लि.मुंबई -94,09,५०३ |

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