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Flash Back 2018 : छत्तीसगढ़ के वो सितारे, जिन्होंने इस साल दुनिया को कह दिया अलविदा…..छत्तीसगढ़ ने खोए कई अनमोल रत्न

 छत्तीसगढ़ ने खोए अनमोल यह साल अब तय उम्र के ढलान पर है, नया वर्ष नयी उम्मीदे, उमंग उत्साह और एक नया सपना लेकर दहलीज पर खड़ी है, अगर इस साल इस प्रदेश को तमाम उपलब्धियां मिली तो हमने ऐसे सितारे को भी खोया जो कला जगत की अनमोल हस्तियां थी | इस साल मनोरंजन जगत से लेकर साहित्य जगत तक कई शख्सियतों ने दुनिया को अलविदा कह दिया है, जिन्होंने अपने जीवन में बेहतरीन काम किया था | इस साल छत्तीसगढ़ ने न सिर्फ अपनी दुलोरिन बेटी सुरुजबाई खांडे को खोया है, बल्कि अपने रतन बेटा लक्ष्मण मस्तुरिहा को भी खोया है | पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी, श्रवण कुमार, सुखउ राम निषाद जैसे रत्नों को भी छत्तीसगढ़ ने खोया है | आइये जानते हैं उन हस्तियों के बारे में जो गुजर जाने के बाद भी हमारी यादों में जिन्दा रहेंगे….

सुरुज बाई खांडे : अपने जीवन को लोककला को समर्पित करने वाली भरथरी गायन को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाली सुरुज बाई खांडे का निधन दस मार्च को हुआ, सुरुज बाई खांडे ने भरथरी जैसी प्राचीन परंपरागत शैली में गाए जाने वाले गीतों को न सिर्फ जिंदा रखा, बल्कि उसे नया आयाम भी दिया, पूरी दुनिया के मंचों पर उसे पहचान दिलाई, उन्होंने राजा भरथरी के जीवन-वृत्त, नीति और उपदेशों को लोक शैली में प्रस्तुत करने की लोककला के रूप में प्रचलित किया | वे 1986-87 में सोवियत रूस में हुए भारत महोत्सव का हिस्सा बनीं थीं। अपनी जीवन को लोककला को समर्पित करने वाली सुरुज बाई खांडे की अंतिम इच्छा पद्मश्री सम्मान पाने की थी, पर उनकी इच्छा अधूरी रह गई |

लक्ष्मण मस्तुरिया : आजीवन छत्तीसगढ़ के मिट्टी की महक को हर घर-द्वार तक फैलाने वाले छत्तीसगढ़ की धरा को अपने गीतों की धारा से सींचने वाले लक्ष्मण मस्तुरिया छत्तीसगढ़वासियों के दिलों व यहां के लोक कला जगत में वे सदैव जीवित रहेंगे। लक्ष्मण मस्तुरिया का निधन तीन नवम्बर को हुआ | सांस्कृतिक मंच चंदैनी गोंदा से अपनी कला की शुरुवात करने वाले मस्तुरिया ने छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर छईहा भुईया के साथ ही कई फिल्मों के गीत लिखे है | उनके लिखे आज भी गीत लोगों के जेहन में गूंजते है | बताया जाता है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और यहां की मिट्टी में रचे-बसे कला और कवयिों को एक मंच पर लाने का काम किया था | कहा जाता है वे जनकवि थे  वे सही अर्थ में छत्तीसगढ़ी सुमत के सरग निसइनी थे वे सचमुच छत्तीसगढ़िया और भारत माँ के रतन बेटा बढ़िया थे।

श्यामलाल चतुर्वेदी : छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार और कवि, पत्रकार पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी का निधन 7 दिसम्बर को जिला बिलासपुर में हुआ |  वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी थे । उनकी रचनाओं में “बेटी के बिदा” पर्रा भर लाई बहुत ही प्रसिद्ध है | इन्हें वर्ष 2018  में साहित्य, शिक्षा व पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया था | इनकी रचना कहानी भोलवा भोलाराम बनिस, रामबनवास, जो काफी लोकप्रिय है |  पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी के बारे में बताया जाता है कि वे रायपुर-बिलासपुर करीब 114 किलोमीटर साइकिल से आना- जाना करते थे | उन्होंने 75 वर्षों तक साहित्य साधना के जरिए हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध बनाने की कोशिश करते रहे. उन्होंने पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी मूल्यवान सेवाएं दी हैं |

सुखउ राम निषाद : अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार 78 वर्षिय  सुखउ राम निषाद का निधन सात अगस्त को दुर्ग में हुआ | वे ग्राम पंचायत कोडिया जिला दुर्ग  निवासी थे | वे पद्मश्री पुनाराम निषाद के रागी थे | उन्होंने उनके साथ कई मंचों पर प्रस्तुति दी |

श्रवण कुमार : लोरीक चन्दा की अटूट प्रेम कहानी पर आधारित लोकनाटिका चंदैनी के मुख्य कलाकार 45 वर्षीय श्रवण कुमार का 22 दिसम्बर को निधन हुआ | श्रवण चंदैनी में मुख्य नायिका दावना मंजार की भूमिका निभाते थे, बताया जाता है कि श्रवण संजीदगी के साथ जिस तरह से भूमिका निभाते थे लोग देखते रह जाते थे | उसने इस क्षेत्र में महारत हासिल किया था |

 

 

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