देश - विदेश

नौकरशाह से सियासत की शाह बनने लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ रहे पूर्व IAS-IPS अफसर चुनाव हारे या जीते?….जानिए क्या रहा परिणाम

लोकसभा चुनाव में इस बार कई ऐसे आईएएस आईपीएस अधिकारी चुनावी मैदान में थे, जिन्होंने अपने सिविल सेवक की नौकरी छोड़कर राजनीति में में कदम रखकर अलग-अलग लोकसभा सीटों से चुनाव लड़े थे, इनमें से कुछ पहले भी चुनाव लड़ चुके है, तो वही कुछ ने पहली बार चुनाव में अपनी किस्मत आजमाया | आइए जानते है इस लोकसभा चुनाव में इन पूर्व अधिकारियो का क्या रहा हाल, किनको मिली जीत तो किनको मिली हार |

अपराजिता सारंगी भुवनेश्वर (ओडिशा) बीजेपी
जीतीं, कुल 4,86,991 वोट मिले, बीजेडी के अरूप पटनायक को 23839 वोटों से हराया.
अपराजिता सारंगी- ओडिशा की सीनियर आईएएस अधिकारी रहे अपराजिता सारंगी ने बीजेपी के टिकट से भुवनेश्वर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, और इस सीट पर उन्होंने भारी मतों से मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त रहे बीजेडी प्रत्याशी अरूप पटनायक को हराया था | अपराजिता सारंगी ने नवंबर 2018 में इस्तीफा दिया था, इसके साथ ही अपराजिता सांरगी पांच साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के पद पर रहीं, वही वीआरएस लेने से पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा से रिटायरमेंट में 11 साल बाकी थे |

भारती घोष-घाटल (पश्चिम बंगाल) बीजेपी
हार मिली. कुल 6,09,986 वोट मिले. 1,07,973 वोटों से टीएमसी के दीपक अधिकारी देव ने हराया.
पूर्व IPS अधिकारी भारती घोष पश्चिम बंगाल की घाटल लोकसभा सीट से बीजेपी से चुनाव लड़ी थी, जहा पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था | भारती काफी विवादित अफसर थी, इन पर वसूली और आपराधिक साज़िश रचने का इल्ज़ाम लगा था, वही भारती ने चुनाव प्रचार के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने ज्यादा होशियारी दिखाई तो वह उत्तर प्रदेश से लोगों को बुलाएंगी और उन्हें ‘कुत्ते की मौत मारेंगी.’ 12 मई को हुए भारती की कार पर हमला हुआ था | CID ने भारती के कई घरों पर छापेमारी की थी, छापेमारी में ढाई करोड़ का सामान मिला था |

मीरा कुमार-सासाराम (बिहार) कांग्रेस
1,65,745 वोटों से हार मिली. 329055 वोट मिले, बीजेपी के छेदी पासवान ने हराया.
मीरा कुमार 1973 में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं. उन्होंने स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त के रूप में कई सालों तक अपनी सेवाएं दीं, मीरा कुमार ने 1985 में कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश की बिजनौर सीट से चुनाव लड़ा, वे पांच बार की सांसद भी रह चुकी है | सासाराम से 2004 और 2009 में लगातार दो बार सांसद रहीं. वह लोकसभा की पहली महिला स्पीकर रही हैं. कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार रह चुकी हैं. 2014 में बीजेपी के छेदी पासवान ने उन्हें हरा दिया था. एक बार फिर वह कांग्रेस के टिकट पर गठबंधन की उम्मीदवार थीं, जहा उन्हें हार का सामना करना पड़ा |

अर्जुनराम मेघवाल बीकानेर (राजस्थान) बीजेपी
जीते. कांग्रेस के मदन गोपाल को 2,64,081 वोटों से हराया. कुल 657743 वोट मिले.
अर्जुनराम मेघवाल भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी मेघवाल चूरू के कलेक्टर रह चुके हैं, वे बीजेपी से 2009 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की | मोदी कैबिनेट में पहले वित्त व बाद में जल संसाधन जैसे अहम मंत्रालय के राज्य मंत्री के रूप में जगह मिली. इस बार मेघवाल का मुकाबला मौसरे भाई कांग्रेस प्रत्याशी सेवानिवृत्त आईपीएस मदन मेघवाल से था |

आरके सिंह- आरा (बिहार) बीजेपी
जीते. 1,47,285 वोटों से सीपीआई (माले) के उम्मीदवार राजू यादव को हराया. कुल 5,66,480 वोट मिले.
आरके सिंह बिहार काडर के 1975 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं, यूपीए राज में होम सेक्रेट्री रहे हैं. 30 अक्टूबर 1990 को आडवाणी को बतौर समस्तीपुर डीएम गिरफ्तार किया. समस्तीपुर के अलावा वह ईस्ट चंपारण और पटना के भी डीएम रहे. नीतीश सरकार के समय रोड कंस्ट्रक्शन विभाग के प्रधान सचिव थे. अहम रोल निभाया ब्रैंड नीतीश को चमकाने में. 2014 में भी उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. आरजेडी प्रत्याशी श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को हराया था. बीजेपी की सरकार बनने के बाद मंत्री बनाए गए. आरा से दूसरी बार चुनाव मैदान में थे |

विजय शंकर पांडे फैजाबाद सीट (उत्तर प्रदेश) लोकगठबंधन पार्टी
हारे. मात्र 2056 वोट ही मिले.
1979 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विजय शंकर पांडे राम मंदिर आंदोलन के दौरान फैजाबाद के डीएम रह चुके हैं | वे अपनी लोकगठबंधन पार्टी से फैजाबाद सीट से चुनाव लड़े जहा उन्हें हार का सामान करना पड़ा | वे मायावती सरकार में वो कई अहम पदों पर रहे. इसके बाद केन्द्र सरकार में सचिव के पद पर भी रह चुके हैं |

अमर सिंह फतेहगढ़ साहिब (पंजाब) कांग्रेस
जीते. 4,11,651 वोट मिले. 93,898 वोटों से दरबार सिंह गुरु को हराया.
अमर सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रधान सचिव थे. 2013 में सेवानिवृत्ति के बाद से मैं पंजाब में रह रहे है, वे मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं, वह कांग्रेस के टिकट पर फतेहगढ़ साहिब से चुनाव लड़े जगह उन्हें जीत हासिल हुआ | वे 10 साल तक केंद्र में सेवा दी और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं के नियमन में मदद किये थे |

दरबार सिंह गुरु- फतेहगढ़ साहिब (पंजाब) SAD
हारे, 3,17,753 वोट मिले. कांग्रेस के अमर सिंह ने 93,898 वोटों से हराया.
पूर्व आईएएस अधिकारी गुरु दरबार सिंह पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के प्रमुख रह चुके हैं, वे पहली बार 2012 में विधानसभा चुनाव लड़े थे जहा हार गए थे | इस फिर लोकसभा चुनाव बस्सी पठाना से इस बार फिर हार का सामना करना पड़ा |

बृजेंद्र सिंह-हिसार (हरियाणा) बीजेपी
जीते, कांग्रेस के भव्य बिश्नोई को 4,18,920 वोटों से हराया. कुल 6,03, 289 वोट मिले.
26 साल की उम्र में यूपीएससी पास करने वाले बृजेंद्र सिंह 1998 बैच के आईएएस रहे हैं, बृजेन्द्र ने बीजेपी के टिकट से हिसार हरियाणा से चुनाव लड़ा था, जहा उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था | चुनाव लड़ने की घोषणा से पहले वह हैफेड में बतौर एमडी के पद पर तैनात थे | बृजेन्द्र सिंह सेंट स्टीफंस कॉलेज में ग्रेजुएशन के दौरान राहुल गांधी के क्लासमेट थे |

 

 

 

 

 

 

Back to top button
close