द बाबूस न्यूज़

ये वो IAS अफसर जिन्होंने अपने कामों से जीता “लोगों का दिल”!…ट्रांसफर के बाद कुछ इस अंदाज में लोगों को कहा अलविदा

आईएएस माने सबसे बड़ा अधिकारी, ब्यूरोक्रेसी की रीढ़, जिले में तो इसे सबसे बड़ा तोप माना जाता है | मगर फायदा तब है जब ये तोप लोगों के पक्ष में चले, यही आईएएस ही देश-प्रदेश के बड़े से बड़े पदों तक पहुंचते हैं, मगर लोगों के हित में कुछ ही लोग काम करते दिखते हैं और लोग उन्हें सम्मान भी देते हैं और याद रखते हैं | ऐसे ही आईएएस अफसरों छत्तीसगढ़ के युवा आईएएस अवनीश कुमार शरण की  गिनती भी होती है, जिन्होंने बलरामपुर जिले की कमान सँभालने के बाद सिर्फ और सिर्फ लोगों के हित में काम करते दिखाई दिए |

तक़रीबन 2 साल के कार्यकाल के बाद आज अवनीश ने बलरामपुर जिला को अलविदा कह दिया है, वे कवर्धा के नए कलेक्टर नए डीएम बनकर जा रहे हैं | बलरामपुर में बतौर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने वो कर दिखाया जो देश-प्रदेश के तमाम अधिकारी सोंच भी नहीं पाएंगे. पहले तो उन्होंने अपनी बच्ची का एडमिशन बलरामपुर के ही सरकारी स्कूल में करवाया. अवनीश की इस पहल की हर तरफ तारीफ हुई. अवनीश इसके बाद एक बार अपनी बेटी के साथ इसी सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाते दिखे थे. इसको फोटो भी वायरल हो गई थी |

इससे पहले भी अवनीश ने अपनी बच्ची को एक साल तक आंगनबाड़ी में भी पढ़ने के लिए भेजा था | अवनीश ने जिले में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और भी कई काम किए हैं | अवनीश के ही कार्यकाल में  जिले के बच्चों बेहतर शिक्षा के लिए प्रज्ञा स्कूल की शुरुवात की गई |  जिले के युवाओं के लिए बेहतर सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए सुपर-25 का बैच बनाकर उन्हें पढाई का मौका दिया | प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर सरकारी स्कूलों की इंफ्रास्ट्रचर तैयार की गई |

इसी तरह से आदिवासी बच्चों को जेईई की तैयारी कराकर कराया गया, जिससे बच्चों को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने का मौका मिला | अवनीश के प्रयासों से तातापानी की सुंदरता को बढ़ाते हुए तातापानी महोत्सव को पुरे प्रदेश में पहचान मिली | जिले में सेन्ट्रल लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया | जिले में सड़क की कनेक्टिविटी भी बढ़ाने काफी ध्यान दिया गया, पहाड़ों को काटकर गांवों तक सड़क का निर्माण कराया गया |

अवनीश में सबसे अच्छी बात ये है कि वे जिले में कराये जा रहे कार्यों की जानकारी हमेशा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का काम करते दिखाई दिए | आज भी उन्होंने उसी सोशल मीडिया के माध्यम से बलरामपुर जिले को अलविदा कहते हुए कवर्धा जाने की जानकारी दी है | उन्होंने इस पोस्ट के साथ ये लिखा है –

“दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम…

नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम…

हवा के झोकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो…

तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो…

हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें…

हर एक पल एक नया सम्हा देखे यह निगाहें…

जो अपनी आँखों में हैरानियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम…

दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम…!!”

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