चुनाव

छत्तीसगढ़ चुनाव 2018 : विजय की मज़बूत स्थिति से घबराई भाजपा, करने लगे हैं निर्दलीय होने का प्रलाप….विकास के लिए दल के सहारे की नहीं, इच्छाशक्ति व कार्यकुशलता की होती है जरूरत

रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच अब चुनाव मुद्दों की बजाय व्यक्ति पर केंद्रित होता जा रहा है । दिलचस्प बात यह है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के लोग निर्दलीय प्रत्याशी को अपने निशाने पर रखकर यह प्रश्न उठा रहे हैं कि निर्दलीय विधायक कैसे क्षेत्र का विकास कर पायेगा ? यदि ऐसा होता कि सत्ता में रहने से ही व्यक्ति योग्य या सक्षम होता तो जो एक बार सत्ता की कुर्सी पर बैठ जाता उसे कभी भी नही हटाया जा सकता ।

इस तरह का प्रश्न उठाना दरअसल यह दिखाता है कि निर्दलीय प्रत्याशी की मज़बूत स्थिति ने भाजपा को विचलित कर रखा है । वास्तव में विकास के लिए सत्ता या दल के सहारे की जरूरत नही होती वरन विकास के लिए जनप्रतिनिधि में इच्छाशक्ति व साफ नीयत जरूरी होती है । जनप्रतिनिधि चाहे कोई भी हो यदि वह अपनी क्षेत्र की समस्याओं व जरूरतों को समझता है तथा एक ठोस कार्ययोजना के साथ वह मुद्दों को प्रभावी ढंग से शासन के समक्ष रखता है तो वो विकास कर पाने में सफल होता है । इसलिए हम देखते हैं कि अनेकों बार विधान सभा मे विपक्षी व निर्दलीय विधायक भी श्रेष्ठ विधायक के रूप में सम्मानित किए जाते हैं । दिवंगत निर्दलीय विधायक तरुण चटर्जी व मौजूदा निर्दलीय विधायक विमल चोपड़ा इसके बड़े उदाहरण है ।

यदि केवल सत्तारूढ़ दल ही विकास कर पाता तो सत्ता कभी परिवर्तित ही नही होती । जहां तक रायगढ़ का प्रश्न है तो हमे मानना पड़ेगा कि विकास के संदर्भ में 2003 से 2008 तक का विजय अग्रवाल का कार्यकाल बेहद सफल कार्यकाल रहा था । इस दौर में रायगढ़ ने विकास की दिशा में बड़ी छलाँग लगाई थी । बहु प्रतीक्षित केलो बांध परियोजना , प्रदेश का सबसे लंबा सूरजगढ़-नदीगांव पुल, मेडिकल कॉलेज, जामगांव-महापल्ली रोड, सांकरा पुल इसके प्रमाणित उदाहरण हैं । उस दौर में रायगढ़ नगर निगम में कांग्रेस के महापौर जेठूराम मनहर विराजित थे किंतु विजय अग्रवाल ने कभी भी इस बात का रोना नही रोया । उन्होंने कांग्रेस की नगर सरकार से बेहतर तालमेल स्थापित करके नगर विकास को नया आयाम दिया । शहर में केलो नदी पर चार अतिरिक्त पुलों का निर्माण, पेयजल आवर्द्धन योजना, महिला समृद्धि बाजार, युवाओं के रोजगार हेतु स्वरोजगार योजना के तहत बड़ी संख्या में दुकानों का निर्माण, शहर सौंदर्यीकरण हेतु कमला नेहरू उद्यान सहित पूरे चक्रधर नगर क्षेत्र का सौंदर्यीकरण, रोज गार्डन का उन्नयन, सर्किट हाउस व कोतरारोड में दो नए उद्यानों की स्थापना उनकी समन्वयवादी कार्यकुशलता का परिचायक है । मुख्य शहर को जूटमिल से जोड़ने वाले रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण से उन्हें बड़ा राजनैतिक खामियाजा उठाना पड़ा किंतु शहरवासी अब उसकी महत्ता समझ रहे हैं ।

बदली हुई परिस्थिति में विजय अग्रवाल आज एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं । इससे उनकी योग्यता व कार्यकुशलता तो कम नही हो जाएगी ! यह तो उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है । इस कार्यकाल में भाजपा के लचर प्रदर्शन के कारण चुनाव में विजय अग्रवाल की विकासदूत वाली छवि संभवतः भारी पड़ने लगी है और शायद यही कारण है कि भाजपा निर्दलीय प्रत्याशी वाले मामले को तूल दे रही है । देखना यह है कि आम जनता भाजपा की कमजोरी को पकड़कर उन्हें करारा जवाब देती है अथवा भाजपा के इस प्रचार से प्रभावित होकर कोई निर्णय लेती है ।

( यह लेख रायगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मिश्र ने लिखी है, यह लेखक के निजी विचार है )

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