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Radhika Khera Controversy:“‘दुशील’ को लेकर ‘कका’ का मोह”….कांग्रेस नेत्री ने अब भूपेश पर उठाए सवाल, प्रियंका पर तंज लिखा-लड़की हूं लड़ रही हूं…

Radhika Khera Controversy: छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। तीसरे चरण के मतदान से पहले फिर राधिका खेड़ा के साथ दुर्व्‍यवहार का मामला तूल पकड़ रहा है।

बीते मंगलवार 30 अप्रैल को रायपुर के राजीव भवन में विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद उन्‍होंने और नए खुलासा करने की बात कही थी।

नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर राधिका खेड़ा (Radhika Khera Controversy) ने फिर अपने X हैंडल पर पोस्‍ट किया है। जिसमें छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस (CG Congress Politics) संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्‍ला और पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर कई सवाल उठाए हैं।

इसके साथ ही उन्‍होंने प्रियंका गांधी के नारे लड़की हूं, लड़ सकती हूं को कोड कर लिखा है कि लड़की हूं, लड़ रही हूं। इस ट्वीट के बाद छत्‍तीसगढ़ में बवाल मच गया है।

 कका का मोह लड़की से बढ़कर

नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर राधिका खेड़ा (Radhika Khera Controversy) ने अपनी पोस्‍ट पर लिखा है कि दुशील को लेकर कका का मोह एक लड़की की इज्‍जत से बढ़कर है।

इस संक्षिप्‍त शब्‍दों में राधिका (Radhika Khera Controversy) ने सुशील आनंद शुक्‍ला और पूर्व सीएम बघेल पर कई सवाल उठाए हैं। इसी के साथ ही उन्‍होंने 2 मई को छत्‍तीसगढ़ आ रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को लेकर भी बिना नाम लिए तंज कसा है।

उन्‍होंने पोस्‍ट में आगे लिखा कि लड़की हूं, लड़ रही हूं… दरअसल यह नारा प्रियंका ने दिया है। जिसे कोड कर राधिका ने आगे लिखा है कि मर्यादा पुरुषोत्‍तम प्रभु श्री राम जी के ननिहाल में दीदी का स्‍वागत है।

राधिका खेड़ा ने सोशल मीडिया हैंडल X पर नया पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने भूपेश बघेल पर भी निशाना साधा है। राधिका ने लिखा कि,   दुशील’ को लेकर ‘कका’ का मोह एक लड़की की इज्जत से बढ़कर है लेकिन, लड़की हूं, ‘लड़ रही हूं’ ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ प्रभु श्री राम जी के ननिहाल में दीदी का स्वागत है।

नारी तू स्‍वयं की शक्ति पहचान

1 मई को भी राधिका खेड़ा (Radhika Khera Controversy) ने अपने X पर पोस्‍ट किया था। जिसमें उन्‍होंने छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस में नारी के सम्‍मान को लेकर विचारधारा पर ही सवाल खड़े किए हैं।

ऐसा उनकी पोस्‍ट से प्रतीत हो रहा है। उन्‍होंने लिखा है कि नारी तू अबला नहीं, स्‍वयं की शक्ति पहचान। अपने हक को लड़ स्‍वयं, तब होगा उत्‍थान।

आगे उन्‍होंने लिखा है कि क्‍यों नारी लाचार है, लुटती क्‍यों है लाज, क्‍या पुरुषत्‍व विहीन ही, हुई धरा ये आज। इस चार लाइनों से उन्‍होंने कई सारे सवाल भी खड़े किए है।

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