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जानें क्या हैं गर्भाशय कैंसर के लक्षण, इन कारणों की वजह से होता है महिलाओं को बच्चेदानी का कैंसर

कैंसर एक ऐसी घातक बीमारी है जिससे न जाने कितने लोग ग्रसित हैं. बच्चे, महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग सभी को यह बीमारी घेर सकती है. लेकिन महिलाओं में आमतौर पर स्तन कैंसर, बच्चेदानी या गर्भाशय का कैंसर देखा जाता है, जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में असहनीय दर्द, गांठे, इंटरनल ब्लीडिंग जैसी समस्याएं हो सकती है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चेदानी या गर्भाशय का कैंसर किन वजह से हो सकता है, जिससे आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

क्या होता है बच्चेदानी का कैंसर
बच्चेदानी या गर्भाशय का कैंसर तब होता है, जब गर्भाशय के किसी हिस्से में कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं और एक गांठ बन जाती है. आमतौर पर ये दो तरह का होता है यूटेराइन सार्कोमा, इस कैंसर में गर्भाशय की मांसपेशियों की परत आसपास के टिशू में कैंसर के सेल बनाने लगती है और दूसरा एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा, इस तरह के कैंसर में गर्भाशय की अंदरूनी परत में कैंसर सेल्स डेवलप होने लगते हैं, यह दोनों ही स्थिति घातक हो सकती है।

उम्र
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. ज्यादातर गर्भाशय का कैंसर 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं को हो सकता हैं।

हार्मोनल चेंज
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का बढ़ना या कम होना गर्भाशय को प्रभावित करता है और यह गर्भाशय के कैंसर के प्रमुख कारण में से एक होता है. मेनोपॉज देर से आना, पीरियड्स जल्दी शुरू होना, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी गर्भाशय के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।

फैमिली हिस्ट्री
कई केसेस में ये बात सामने आ चुकी है कि आनुवांशिक विकार या विरासत में मिले गर्भाशय के कैंसर से आने वाली पीढ़ी को भी इस कैंसर का खतरा होता है।

डाइट और वजन पर कंट्रोल नहीं करना
जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है या जो मोटापे से ग्रसित होती हैं, उन्हें गर्भाशय के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. इतना ही नहीं जो लोग अनहेल्दी डाइट का सेवन करते हैं उन्हें भी गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा हो सकता है।

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