Exclusive : देश के ऐसे IAS अफसर, जो नौकरशाह से बने “सियासत के शाह”
कई IAS अफसरों ने सिविल सर्विसेज की नौकरी छोड़कर राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई । छत्तीसगढ़ के युवा आईएएस रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी भी इसी नक्शे कदम में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं, हालांकि ऐसा करने वाले वो पहले अफसर नहीं हैं । अफसरों को राजनीति अकसर आकर्षित कर लेती है, हिंदुस्तान के इतिहास में बहुत सारे नेता हुए हैं, जो पहले अफसर थे, इस सीरीज में आज हम बात करेंगे उन IAS अफसरों की, जो बाद में नेता बन गए ।
– अजीत प्रमोद कुमार जोगी
मैकेनिकल इंजीनियर थे, यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट, कुछ दिन लेक्चरर रहे. फिर 1970 में आईएएस बने तथा अंत में एक राजनेता बने। कांग्रेस से जुड़े. नौकरी छोड़ दी. 1986 में राजीव गांधी ने इनको ‘नया चेहरा’ के रूप में आगे बढ़ाया. तब से 1998 तक दो बार राज्यसभा के सांसद रहे. 1998 में लोकसभा में चुने गये।
ये छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री हैं तथा 2016 तक कांग्रेस में रहे। 2014 में चंदलाल साहू से लोकसभा चुनाव हारने के कारण भी ये काफी प्रसिद्ध रहे क्योंकि उस चुनाव में 11 चंदू लाल ने पर्चा भरा था । अब इन्होंने ‘छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस’ के नाम से अपनी पार्टी बनाई है जिसमें उनके बेटे अमित जोगी भी शामिल हैं।
इसके अलावा इन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स के लिए कई लेख और कविताएं भी लिखे हैं। बहुत आर्टिकल और किताबें लिखीं हैं इन्होंने. गुरु आदमी हैं. इनकी एक किताब है- “The Role of District Collector”
CAT पेपर लीक में इनका नाम आया था, 2014 के लोकसभा चुनाव में इन्होंने अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी के चंदू लाल साह के नाम से 11 और लोगों को निर्दलीय खड़ा करवाया था, अपनी तरफ से जनता को पूरा कंफ्यूज किए थे, पर जनता जान गई और ये हार गए ।
– पीएल पुनिया
एमए-पीएचडी हैं. आईएएस बने, 2005 में नौकरी छोड़ी, 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा गए । 2014 में चुनाव हार गए, पर राज्यसभा पहुंच गए, नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट के चेयरपर्सन रहे ।
पुनिया का नाम 1995 में उछला था, मुलायम सिंह की सरकार जाने के बाद मायावती मुख्यमंत्री बनीं, माया ने पुनिया को अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी बना दिया । एक शेड्यूल्ड कास्ट के अफसर का इस पोस्ट पर होना बदलते भारत की निशानी थी ।
बाद में पुनिया ने कांग्रेस जॉइन कर ली और यूपी में कांग्रेस का पिछड़ा चेहरा बने । फिलहाल छत्तीसगढ़ कांगेस के प्रभारी बनाए गए हैं ।
– यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा सीनियर नेताओं में से एक हैं जो की पहले एक आईएएस अफसर थे। वह बिहार से हैं तथा आईएएस बनने से पहले ये राजनीती शास्त्र के अध्यापक भी रहे।
पॉलिटिकल साइंस पढ़े, फिर पढ़ाया भी, 1960 में उन्होंने आईएएस ज्वाइन किया। 24 साल विभिन्न पदों पर रहते हुए वह जॉइंट सेक्रेटरी के पद तक पहुंचे । 1984 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तथा जनता पार्टी ज्वाइन की। उनको 1986 में पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया । 1989 में जब जनता दल बना तो उसमें ये जनरल सेक्रेटरी बने । 1988 में वह राज्य सभा मेंबर बने तथा 1996 में ये बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। 1998 में वह वित् मंत्री बने फिर 2002 में वह विदेश मंत्री बने। अभी उनके बेटे जयंत सिन्हा केंद्रीय सिविल एविएशन राज्य मंत्री हैं जो 2014 चुनाव के बाद केंद्रीय वित् राज्य मंत्री बने थे।
भारत-फ्रांस के रिश्तों में गर्मी लाने के लिए फ्रांस ने 2015 में इनको अपने सबसे बड़े सम्मान ‘लीजन ऑफ़ ऑनर’ से नवाजा गया ।
एक किताब भी लिखी- ‘Confessions of a Swadeshi Reformer’. ब्लॉग भी चलाते हैं- ‘Musings of a Swadeshi Reformer’ दाग भी लगा दामन पर. यूटीआई स्कैम में नाम आया था ।,
– अर्जुन राम मेघवाल
इनका जन्म बीकानेर में एक साधारण से परिवार में हुआ तथा राज्य की सिविल सेवा से प्रोमोट होने के बाद वह 1994 में आईएएस बने। उन्होंने राजस्थान सरकार के विभिन विभागों में काम किया। इन्होंने 2009 में राजनीति में आने का फैसला किया, जब बीजेपी ने बीकानेर से उन्हें लोकसभा का टिकट दिया । वह 2009 तथा 2014 दोनों लोकसभा चुनावों में जीते। 2013 में इनको सर्वश्रेष्ठ संसाद के रूप में चुना गया तथा ये साइकिल से संसद जाने के लिए प्रसिद्ध हैं । अभी वो केंद्रीय वित् राज्य मंत्री है।
– राज कुमार सिंह ( आर.के.सिंह )
राज कुमार सिंह 1975 बैच के आईएएस अफसर हैं। इन्होंने सरकार में विभिन ऊंच पदों पर कार्य किया तथा होम सेक्रेटरी के पद तक पहुंचे । 1990 में जब ये समस्तीपुर के जिला अधिकारी थे तब इन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को राम रथ यात्रा के दौरान गिरफ्तार किया था। इन्होंने 2014 लोकसभा इलेक्शन के दौरान बीजेपी ज्वाइन किया और चुनाव लड़ा। इसके अलावा इन्होंने कांग्रेस सरकार के ऊपर समय-समय पर बहुत से मामलों जैसे इशरत जहां या इतालियन मरीन जैसे मुदों पर अनिमियताओं के आरोप लगाए। अभी वो आरह, बिहार से सांसद हैं।
– जयप्रकाश नारायण
आंध्र में जन्मे, ये पेशे से डॉक्टर हैं जिन्होंने 1980 में आईएएस ज्वाइन किया। इन्होंने 16 साल तक सेवा की तथा सेक्रेटरी पद तक पहुंचे बाद में लोकसत्ता नाम से पार्टी बनाई। उनको चुनाव सुधार तथा सूचना के अधिकार में अपने काम के लिए भी जाना जाता है। 2004 से 2006 तक ये नेशनल एडवाइजरी पैनल का हिस्सा रहे। ये विभिन्न अख़बारों में लेखक भी रहे हैं। तथा चुनावों को लेकर टी.वी. पर एक कार्यक्रम ‘प्रतिध्वनि’ भी प्रस्तुत किया । ये 2009-2014 तक कुकटापल्ली से विधायक रहे। 2014 का लोकसभा इलेक्शन ये हार गए।
6. डॉ श्रीकांत जिचकर
इनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ तथा ये 1980 में आईएएस बने। परंतु केवल 4 महीने की सर्विस के बाद उन्होंने आईएएस छोड़ दी तथा मात्र 25 साल की उम्र में विधायक चुने गए। उनके पास 20 से अधिक डिग्री थी जिनमें डॉक्टरी था कानून की डिग्री शामिल हैं। इसलिए उनको सर्वाधिक शिक्षित आदमी भी माना जाता है। इन्होंने महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर काम किया तथा एक साथ 14 विभाग अपने हाथ में लिए। ये 1992 में राज्य सभा के मेंबर चुने गए। 2014 में एक कार दुर्घंट्ना में इनका देहांत हो गया।
– जे सुंदर शेखर
इनका जन्म आंध्र में हुआ तथा ये 1983 बैच के आईएएस थे। ये पश्चिम बंगाल कैडर के अधिकारी थे। ये पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के सेक्रेटरी रहे तथा 2013 में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली । यह 2014 में राजनीति में आये तथा इनका 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान व्हाई.अस.आर. कांग्रेस के रेड्डी को ममता से मिलाने में बड़ा योगदान दिया । इन्होंने त्रिनिमूल कांग्रेस के तरफ से 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा ।
– जेसुदास सीलम
ये आंध्र से हैं इन्होंने रासायन विज्ञान के प्राध्यापन किया । 1984-1999 तक एक आईएएस अफसर का पद संभाला तथा कई विभागों में विभिन पदों पर रहे । ये एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं तथा ‘स.अ.अ.स. परिवर्तन’ नामक गैर सरकारी संघटन से जुड़े हैं इन्होंने 1999 में राजनीति ज्वाइन की तथा कांग्रेस को राजसभा में आंध्र की तरफ से प्रतिनिधिव किया । इनको संसद में सेकेटरी जनरल रहते हुए ‘एड्स’ की सूचना के लिए अपने काम लिए भी जाना जाता है। संसद में सेक्रेटरी जनरल रहते इन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों लिए भी बहुत कार्य किया ।
– देबब्रत कंठ
ये 1987 बैच के आईएएस थे जो की आंध्र से हैं। इन्होंने मात्र 21 साल की उम्र में ओडिशा कैडर ज्वाइन किया । 20 साल की सर्विस के बाद ये अफसरी छोड़ राजनीति में शामिल हुए। इसके लिए इन्होंने सरकार से पढाई के लिए 20 लाख रुपये चुकाए । ये भी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचे । अभी ये कांग्रेस पार्टी के मेंबर हैं तथा 2009 में जाजपुर से कांग्रेस की टिकट पर विधायकी के लिए चुनाव लड़ा। इनकी पत्नी सोम्या मिश्रा ,आंध्र कैडर की एक आईपीएस हैं ।
– अल्फोंस कन्ननथनम
ये 1979 बैच के अफसर हैं जिन्होंने 27 साल तक देश के विभिन शहरों में अपनी सेवा दी। इन्होंने अर्थशात्र में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की है। ये कोट्टयम में 100% साक्षरता करने के कारण काफी प्रसिद्ध रहे । इनके इस कार्य के लिए उन्हें टाइम पत्रिका 1994 में 100 ‘युथ ग्लोबल लीडर’ के लिए चुना । डी.डी.ऐ. में रहते हुए इन्होंने 14000 से ज्यादा अनधिकृत भवनों को तोडा । ये एक कुशल वकील भी हैं। 2006 में इन्होंने आईएएस से इस्तीफा दे दिया तथा राजनीति ज्वाइन कर ली। ये 2006 से 2011 तक स्वतंत्र विधायक के तौर पर कंजिरापल्ली से चुने गए बाद में 2011 में इन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली ।