छत्तीसगढ़ चुनाव 2023 : छत्तीसगढ़ की इन 29 सीटों पर बिगड़ सकते हैं समीकरण, चुनाव से पहले बढ़ी कांग्रेस के लिए मुश्किलें, बीजेपी को भी मिला चैलेंज
Chhattisgarh Election 2023 News: चुनाव के लिए कुछ ही समय शेष रह गया हैं. ऐसे में BJP और कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है. अब राज्य की 29 विधानसभा सीटों पर तीसरी पार्टी की एंट्री हो गई है.
छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होना है, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस तैयारियों में लगे हैं। राज्य में इस साल होने वाले चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है। आप ने प्रदेश की सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, लेकिंन अब दूसरी तरफ सर्व आदिवासी समाज ने बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं, सर्व आदिवासी समाज के द्वारा भी इस विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिनिधि को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं की चिंता बढ़ गई है.
बताया जा रहा है कि प्रदेश के 29 विधानसभा सीटों में सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि चुनावी मैदान में उतरेंगे, ये 29 सीटें आदिवासी बाहुल्य इलाके की हैं।इसकी घोषणा के साथ ही सियासी दलों में हलचल शुरू हो गई है, कांग्रेस और बीजेपी के आदिवासी नेता विभिन्न विधानसभा सीटों पर अपने-अपने समीकरण देखने लगे हैं. इस घोषणा के बाद 29 सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे अरविंद नेताम द्वारा सर्व आदिवासी समाज के द्वारा चुनाव लड़ने की मुहिम की अगुवाई पर अब कांग्रेस उन पर हमला बोल रही है.
सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने बीजेपी-कांग्रेस पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दोनों पार्टियां सत्ता में रहीं लेकिन आदिवासी समाज के विकास के लिए कोई काम नहीं। अब सर्व आदिवासी समाज विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगा। इस घोषणा के बाद से बीजेपी-कांग्रेस की रणनीतियों पर बड़ा झटका लगा है।
चुनाव लड़ने को लेकर बीजेपी के नेताओ ने किया स्वागत
माना यह जा रहा है कि अरविंद नेताम की सक्रियता ना केवल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी बल्कि कई सीटों पर चुनावी गणित भी बदलने का काम करेगी. यही वजह है कि कांग्रेस लगातार उन पर हमला बोल रही है. इधर भारतीय जनता पार्टी में भी रह चुके अरविंद नेताम की बीजेपी में वापसी को लेकर बीजेपी नेताओं ने इससे इंकार किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई संपर्क उनसे नहीं किया गया है और ना ही उनसे चुनाव लड़ने पर कोई बात की गई है. अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो अच्छी बात है. वहीं इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है और सर्व आदिवासी समाज को कांग्रेसियों से मिल रही नसीहत को अपमान बताया है.
आदिवासी वोटर्स पर फोकस
विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स है। सर्व आदिवासी समाज के चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा करने के बाद राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। अरविंद नेताम ने हाल ही में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ की सभी आरक्षित 29 सीटों पर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने ये भी कहा था कि आरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों पर भी उम्मीदवार उतरेंगे।
कांग्रेस के लिए मुश्लिक क्यों?
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स है। 208 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पाले में आदिवासी वोटर्स शिफ्ट हुआ था। 2018 विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की 29 आदिवासी बाहुल्य सीटों में से 25 सीटों पर कांग्रेस जीती थी। अब अगर सर्व आदिवासी समाज चुनाव मैदान में उतरता है तो आदिवासी वोटर्स के बांटने का डर रहेगा। जिस कारण से चुनावी समीकरण बिगड़ सकता है। बीजेपी भी आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए आदिवासी समाज के बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने की मुहिम चला रही है।
चुनाव लड़ने की तैयारी है पूरी
इधर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 15 सालों तक बीजेपी सरकार में थी. इस दौरान छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं किया गया और वहीं अब बीते साढ़े 4 साल से कांग्रेस की सरकार है लेकिन इस सरकार ने भी आदिवासियों के जल ,जंगल, जमीन को बचाने कोई प्रयास नहीं किया. ,आदिवासियों की स्थिति जस की तस बनी हुई हैय. विकास के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हो रहा है.
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि सर्व आदिवासी समाज ने विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है और 29 विधानसभा सीटों में अपने प्रतिनिधि उतारने पर भी विचार कर रही है. आने वाले दिनों में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी लेकिन सर्व आदिवासी समाज की तैयारी पूरी है.
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में दिखा था असर
2022 में छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। कांग्रेस ने यहां से सावित्री मंडावी को चुनाव मैदान में उतारा था। जबकि बीजेपी ने ब्रह्मानंद नेताम को उम्मीदवार घोषित किया था। उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने अकबर राम कोर्राम ने। सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम को 23 हजार वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर थे। जबकि बीजेपी के ब्रह्मानंद नेताम 21 हजार वोटों से चुनाव हारे थ