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सरकार ने उपलब्धियां बताने विज्ञापन पर खर्च किये करोड़ों,  किस अखबार को मिला कितने करोड़ का सरकारी विज्ञापन, देखें पूरी लिस्ट

हिंदी में एक कहावत है ‘जो दिखता है वही बिकता है’ | इस बात को देश की सरकारें खूब समझती हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने पिछले पांच सालों में अकेले अख़बारों पर ही 1609 करोड़ रूपए खर्च कर दिए हैं, इसमें डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे गूगल, फेसबुक, यूट्यूब पर किया गया खर्च शामिल नहीं है | नरेंद्र मोदी सरकार में हिंदी मीडिया को दी जा रही है प्रमुखता का एक और उदाहरण सामने आया है । मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार ने अंग्रेजी अखबारों के मुकाबले हिंदी अखबारों पर ज्यादा विज्ञापन राशि खर्च की है । पिछले पांच सालों में जहां अंग्रेजी अखबारों पर सरकार ने 719 करोड़ खर्च किए, तो वही हिंदी अखबारों पर 890 करोड़ की राशि खर्च की गई है। इसका खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है ।

 

2014-15 से 2018-19 के बीच हिंदी अखबारों को दिए गए विज्ञापन -



दैनिक जागरण – 100 करोड़ रुपये (लगभग)
दैनिक भास्कर – 56 करोड़ रुपये और 62 लाख रुपये (लगभग)
हिंदुस्तान – 50 करोड़ रुपये और 66 लाख रुपये (लगभग)
पंजाब केसरी – 50 करोड़ 66 लाख (लगभग)
अमर उजाला – 47.4 करोड़ रूपए (लगभग)
राजस्थान पत्रिका – 27 करोड़ रुपये और 78 लाख रुपये (लगभग)
नवभारत टाइम्स –  3 करोड़ 76 लाख रुपये (लगभग)

अंग्रेजी अखबारों पर नजर डालें तो सबसे बड़े अखबार 


द टाइम्स ऑफ इंडिया –  217 करोड़ रुपये (लगभग)
हिन्दुस्तान टाइम्स – 157 करोड़ रुपये (लगभग)
डेक्कन क्रोनिकल – 40 करोड़ रुपये (लगभग)
द हिंदू और द हिंदू बिजनेस लाइन – 33.6 करोड़ रुपये (लगभग)
द टेलिग्राफ – 20.8 करोड़ रुपये (लगभग)
द ट्रिब्यून -13 करोड़ रुपये (लगभग)
डेक्कन हेराल्ड – 10.2 करोड़ रुपये (लगभग)
द इकोनॉमिक्स टाइम्स – 8.6 करोड़ रुपये (लगभग)
द इंडियन एक्सप्रेस – 26 लाख रुपये (लगभग)
द फाइनेंशियल एक्सप्रेस – 27 लाख रुपये (लगभग)

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में करीब 5726 करोड़ रुपये पब्लिसिटी पर खर्च किए गए है । इंटरनेट पर सरकारी विज्ञापन खर्च मे बहुत इजाफा हुआ है। ये आंकड़ा पिछले पांच सालों में 6.64 करोड़ से 26.95 करोड़ पहुंच गया है।

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