विधायक शैलेश ने विधानसभा में बिलासपुर के गिरते जलस्तर पर जताई चिंता, बोले – अमृत मिशन के लिए खूंटाघाट नहीं बल्कि अरिहन नदी से लाया जाये पानी….विधायक जनसम्पर्क निधि भी बढ़ाने की मांग
बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने सत्र के सातवें दिन आज सदन में बिलासपुर की जीवन दायिनी अरपा नदी के उत्थान के लिए बेहतर कदम उठाने की मांग करने के साथ ही राज्य सरकार से बिलासपुर शहर के विकास के लिए और प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के भी बात कही | इसके साथ ही शैलेश ने विधायकों को मिलने वाली प्रतिमाह जनसम्पर्क निधि को एक लाख से बढ़ाकर 12 लाख तक बढ़ाने की मांग की |
बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने कहा कि बिलासपुर में अमृत मिशन के तहत जो खूंटाघाट जलाशय से पानी लाने की योजना बनाई गई है, खूंटाघाट जलाशय की कैपिसिटी कम है, इसलिए अरिहन नदी से पानी लाया जाये, इसके लिए विभाग योजना बनाकर काम करे | शैलेश पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अधिकत्तम आबादी ग्रामों में निवास करती है, प्रदेश को नदी तालाबों का प्रदेश भी कहा जाता है | अधिक नदी तालाब होने के कारण यह मछली पालन भी अधिक होती है | लेकिन पिछली सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कोई खास कार्य नहीं किया था | जिसके कारण ग्रामीण मछली पालन से दूर जाने लगे |
बिलासपुर विधायक ने सदन को बताया कि प्रदेश की मछली पालन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है | इसके साथ ही उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ से मछलियां केरल, आंध्रप्रदेश के साथ-साथ कई राज्यों में भेजी जाती है | इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी और प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलेगा | ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति व्यवस्था मजबूत होगी |
वही विधायक शैलेश पांडेय ने बिलासपुर में पशु चिकित्सालय निर्माण के लिए बजट में शामिल किए जाने पर मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बिलासपुर में एक पशु चिकित्सालय की जरुरत थी, जहा पर पशुओं का इलाज अच्छे से हो सके | आगे विधायक पांडेय ने सदन को बताया कि वे पिछले दिनों बिलासपुर पशु चिकित्सालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे, जहाँ पर उन्हें काफी अव्यस्था देखने को मिली थी, पशुओं के इलाज के लिए उचित सुविधा नहीं थी, दयनीय स्थिति थी | अस्पताल की बद से बदत्तर थी |
बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने कहा कि पिछली सकरार ने पिछले 15 साल में छत्तीसगढ़ के पहचान को खत्म कर दी है | छत्तीसगढ़ को धान के कटोरा के नाम से जाना जाता था, लेकिन पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ के संस्कृति पहचान को पुईरी तरह से ख़त्म करने का कार्य किया है |