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ये हैं वो टॉप 5 पावरफुल IAS अफसर, जिन पर मुख्यमंत्री को मंत्रियों से ज्यादा भरोसा

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2014 के 7 महीने को छोड़ दे तो नीतीश कुमार 2005 नवंबर से बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं। नीतीश कुमार नेताओं से ज्यादा वफादार रहने वाले सिविल सेवकों पर भरोसा करते हैं। कई अधिकारी लंबे वक्त तक एक ही पद पर बने रहे, अब भी कई बने हुए हैं। कई बार मंत्रियों पर कुछ अफसरों का एक शक्तिशाली गुट हावी रहता है। कई बड़े अधिकारी भी इन खास अफसरों के ‘कोटरी’ का हिस्सा नहीं बन पाते।

ये हकीकत है कि अफसरों के दम पर नीतीश कुमार ने बिहार में विकास की नई गाथा लिखी है। राज्य में आईएएस अफसरों के लिए कुल स्वीकृत पद 410 है। फिलहाल 300 से ज्यादा आईएएस अफसर बिहार में तैनात हैं। कई अधिकारियों के पास दो-दो, तीन-तीन विभाग की जिम्मेदारी है। 2005 से नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार चल रही है। जबसे नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली तब से ही उनके ‘किचन कैबिनेट’ में पसंदीदा अफसरों की फेहरिस्त काफी छोटी रही। पूरा देश जानता है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी के खासे पसंदीदा नेताओं में से एक हैं। उनको इससे कोई गुरेज भी नहीं है। नीतीश कुमार को जब पार्टी की कमान देने की बारी आई तब भी उन्होंने एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी (आरसीपी सिंह) को चुना। जिन्हें नीतीश कुमार रामचंद्र बाबू कहकर बुलाते हैं। तो जानते हैं कि बिहार के टॉप पावरफुल IAS कौन हैं:-

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चंचल कुमार

IIT कानपुर से एमटेक चंचल कुमार 1992 बैच के आईएएस अधिकारी है। बिहार की ब्यूरोक्रेसी में सबसे पावरफुल माने जाते हैं। नीतीश कुमार जब रेल मंत्री (1998-99) थे, तब से ही उनके साथ हैं। अक्सर 2-3 विभागों को संभालते हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव पद पर इनकी तैनाती सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बिहार में कई योजनाओं को लागू करने के पीछे इनका दिमाग माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि ये ब्यूरोक्रेट के साथ अच्छे टेक्नोक्रेट भी हैं। मंत्री भी इनसे संभलकर ही रहना चाहते हैं। उदारहण के तौर पर सितबंर 2019 तक मंत्री (तत्कालीन) महेश्वर हजारी के पास आवास मंत्रालय भी था। इस विभाग के सचिव चंचल कुमार थे। हजारी और चंचल के बीच किसी बात को लेकर मतभेद हो गया तो मंत्री हजारी को ही शिफ्ट कर दिया गया। चंचल कुमार का बाल बांका तक नहीं हुआ।

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दीपक कुमार

28 फरवरी को दीपक कुमार बिहार के मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए और 1 मार्च से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त कर दिए गए। बिहार के पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में ये पद काफी पावरफुल माना जाता है। दूसरे आईएएस चंचल कुमार पहले से ही इस पद पर तैनात हैं। 1984 बैच के आईएएस अधिकारी दीपक कुमार को 1 जून 2018 को मुख्य सचिव नीतीश कुमार ने बनाया था। मुख्य सचिव के तौर पर दीपक कुमार का कार्यकाल फरवरी 2020 तक का ही था, मगर 2 बार एक्टेंशन के बाद उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक हो गया। ये मूलरूप से सुपौल के रहनेवाले हैं। दीपक कुमार से पहले अंजनी सिंह मुख्य सचिव थे। अंजनी सिंह के रिटायर होने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर लिया था। दरअसल नीतीश कुमार चाहते थे कि दीपक कुमार को तीसरी बार एक्सटेंशन मिले लेकिन केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी। लिहाजा नीतीश सरकार ने राबड़ी सरकार के वक्त के राज्यादेश का इस्तेमाल करते हुए दीपक कुमार को सीएम हाउस में ही एडजस्ट कर दिया।

आमिर सुबहानी

1987 बैच के आईएएस अधिकारी आमिर सुबहानी की गिनती नीतीश कुमार के बेहद करीबी और ताकतवार अधिकारियों में की जाती है। सुबहानी 10 साल से ज्यादा समय तक गृह सचिव के पद पर तैनात रहे। सुबहानी मूल रूप से सीवान के रहनेवाले हैं। बीजेपी के कुछ नेताओं ने सवाल उठाया था कि पिछले 10 साल से एक ही आदमी बिहार के गृह विभाग में ओहदे पर है, उसकी तबादला होनी चाहिए। नीतीश कुमार ने आमिर सुबहानी को राज्य के नए विकास आयुक्त के पद नियुक्त कर दिया। साथ ही महानिदेशक, बिपार्ड (Bihar Institute of Public Administration & Rural Development) का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। मतलब सुबहानी किचन कैबिनेट में अब भी बरकरार हैं। नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट अब भी सुबहानी के हाथों में ही रहेगी।

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प्रत्यय अमृत

प्रत्यय अमृत 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। गोपालगंज के रहनेवाले प्रत्यय ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। ये भी नीतीश कुमार के बेहद खास अधिकारियों में शामिल हैं। नीतीश कुमार सरकार में कई सालों से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट जैसे रोड कनेक्टिविटी और विद्युत आपूर्ति जैसी अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कहा जाता है कि प्रत्यय अमृत ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के जरिए शहरों में सड़कों और फ्लाईओवर का जाल बिछा दिया। जिस निगम के स्टाफ को सैलरी के लाले पड़े रहते थे, उसे अपनी काबीलियत की बदौलत लाभ में पहुंचा दिया। निगम के ऑफिस को मल्टीनेशनल कंपनी की ऑफिस की तरह बना दिया। कर्मचारियों को बोनस का भी फायदा मिलता है।

आनंद किशोर

2016 से अब तक बिहार में शिक्षा मंत्री बदले, मगर बिहार बोर्ड की जिम्मेदारी आनंद किशोर के पास ही रही। इसके अलावा भी आनंद किशोर के पास 2-3 विभाग होते हैं। बोकारो के इस्पात विद्यालय सेक्टर-6 से मैट्रिक पास करने वाले आनंद किशोर ने धनबाद जिले में टॉप किया था। इनकी मां इसी विद्यालय में हिन्दी पढ़ाया करती थीं। आनंद ने पटना साइंस कॉलेज में आईएससी में एडमिशन लिया और आईआईटी एंट्रेंस परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता पाई। आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया। मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी भी की। 1995 में पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की। आईपीएस के लिए सेलेक्शन हुआ, लेकिन इन्होंने ज्वाइन नहीं किया। 1996 में यूपीएससी में पूरे भारत में 8वां रैंक हासिल किया। आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ। संयोग से बिहार कैडर भी मिल गया। जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे तब आनंद किशोर नालंदा के डीएम थे। तभी नीतीश कुमार से संपर्क बना। नीतीश कुमार के पावरफुल आईएएस अधिकारियों में आनंद भी शामिल हैं।

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