पॉलिटिक्स के धुरंधर अजीत जोगी, ऐसा था “सपनों के सौदागर” का राजनीतिक करियर, जानिए कलेक्टर से CM तक का उनका पूरा सफर
करीब दो दशक पहले अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले अजीत जोगी का शुक्रवार को निधन हो गया. वह लगभग 20 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. रायपुर स्थित श्री नारायणा अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉक्टर सुनील खेमका ने शुक्रवार को यहां बताया कि 74 वर्षीय जोगी ने आज दोपहर बाद 3.30 बजे अंतिम सांस ली. खेमका ने बताया कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रमुख अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नौ मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से उनकी हालत नाजुक थी |
भारतीय प्रशासनिक सेवा की अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत प्रमोद कुमार जोगी जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले संभवत: अकेले शख्स थे. छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के एक गांव में शिक्षक माता पिता के घर पैदा हुए जोगी को अपनी इस उपलब्धि पर काफी गर्व था और जब तब मौका मिलने पर अपने मित्रों के बीच वह इसका जिक्र जरूर करते थे |
जोगी ने मौलाना आजाद कॉलेड ऑफ टेक्नॉलोजी, भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1968 में यूनिवर्सिटी के गोल मेडल विजेता रहे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, रायपुर में लेक्चरार के तौर पर काम करने के बाद उनका चयन आईपीएस और फिर आईएस के लिए हुआ।
बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये।अजीत जोगी साल 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।
इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्य करते रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए। वे विधायक और सांसद भी रहे। उसके बाद वह वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दौरान यहां के पहले मुख्यमंत्री बने तथा वर्ष 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। राज्य में वर्ष 2003 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी से पराजित हो गई थी।
हालांकि, उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही और उनका राजनीतिक ग्राफ भी गिरता गया। लगातार वह पार्टी में बगावती तेवर अपनाते रहे और अंत में उन्होंने अपनी अलग राह चुन ली। राज्य में कांग्रेस नेताओं से मतभेद के चलते जोगी ने साल 2016 में नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का गठन कर लिया था और वह उसके प्रमुख थे। अजीत जोगी ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से गठन किया था जबकि एक दौर में वो राज्य में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे।
अर्जुन सिंह की सलाह पर राजनीति में लांच हुए जोगी
अर्जुन सिंह की सलाह पर ही 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अजीत जोगी को राजनीति में लॉन्च किया। अजीत जोगी कभी भी खास जनाधार वाले नेता नहीं रहे, लेकिन उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता और गांधी परिवार से नजदीकी की वजह से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और देश की राजनीति में एक अलग ही हनक रही। माना जाता है कि अर्जुन सिंह ने अजीत जोगी को राजनीति की सारी बारीकियां सिखाई थीं। हालांकि एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से अजीत जोगी की कभी भी नहीं पटी।
ऐसा रहा डीएम का सफर
हिंदी और अंग्रेजी पर समान अधिकार रखने वाले और अपने छात्र जीवन से ही मेधावी वक्ता रहे जोगी की राजनीतिक पढ़ाई मध्य प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अर्जुन सिंह की पाठशाला में हुई थी. नौकरशाह के तौर पर सीधी जिले में पदस्थापना के दौरान वह अर्जुन सिंह के संपर्क में आए थे. सीधी अर्जुन सिंह का क्षेत्र था और युवा अधिकारी के तौर पर जोगी उन्हें प्रभावित करने में पूरी तरह सफल रहे थे. बाद में रायपुर में कलेक्टर रहते हुए वह तब इंडियन एअरलाइंस में पायलट राजीव गांधी के संपर्क में आए.
प्रधानमंत्री कार्यालय से आया था फोन, नौकरी से दो इस्तीफा
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब जोगी इंदौर में जिलाधिकारी के तौर पर पदस्थ थे और सबसे लंबे समय तक डीएम बने रहने का रिकार्ड उनके नाम हो चुका था. जून 1986 में उन्हें पदोन्नति के आदेश जारी हो चुके थे और जोगी इंदौर जिले में उनकी विदाई के लिए हो रहे आयोजनों में व्यस्त थे जब प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें फोन कर नौकरी से इस्तीफा देने और राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को कहा गया.
जोगी ने कहा था- ‘हां, मैं सपनों का सौदागर हूं
अजीत जोगी के राजनीतिक जीवन की खास बात यह रही कि उनके नाम के साथ बदनामी भी साथ-साथ चला। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जब राजनीति में लॉन्च हो रही थीं तब अजीत जोगी ही उनका भाषण लिखा करते थे। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह गांधी परिवार के कितने करीबी रहे हैं। वहीं जब साल 2000 में मध्य प्रदेश का बंटवारा हुआ तो अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने। यह जोगी का राजनीति में सर्वोच्च उत्थान था। शपथ लेने के बाद जोगी ने कहा था- ‘हां, मैं सपनों का सौदागर हूं. मैं सपने बेचता हूं।’