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….नई सरकार ने लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र के किसानों की लौटायी खुशहाली

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बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा के हजारों किसानों की इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को नई सरकार ने लौटा कर उनके जीवन में फिर से मुस्कान भर दी है।

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इन क्षेत्र के ग्राम धुरागांव के चमरू, घनश्याम सिंह ठाकुर, अनंतराम कश्यप, ग्राम बडांजी के हेम कुमार भगत और बलीराम, ग्राम टाकरागुडा के बुधराम कश्यप, और हिड़मों राम मण्डावी, ग्राम दाबपाल आशमन मौर्य जैसे सैकडों किसान अपनी जमीन फिर से पाकर बेहद उत्साहित है और इसके लिए सांसद श्री राहुल गांधी तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना भरपूर आर्शीवाद दे रहे है।

उल्लेखनीय है कि सांसद श्री राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोहांडीगुड़ा क्षेत्र के किसानों से यह वादा किया था कि टाटा इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित उनकी भूमि उन्हें वापस की जाएगी।

यह भी उल्लेखनीय है कि बस्तर जिले के तहसील लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए सन 2008 में 10 ग्रामों बड़ांजी, बड़ेपरोदा, बेलर, बेलियापाल, छिन्दगांव, दाबपाल, धुरागांव, कुम्हली, टाकरागुड़ा एवं सिरसगुड़ा तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा के 1700 से अधिक किसानों की 1764 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी। किन्तु वर्ष 2016 मंे कंपनी द्वारा राज्य सरकार को पत्र लिखकर उद्योग लगाने में अपनी असर्मथता जताई। नई सरकार ने केवल 10 दिनों के भीतर केबिनेट की बैठक पर फैसला लिया कि किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन लौटाई जाएगी। यह भी उल्लेखनीय है कि किसानों को उनकी जमीन वापस की जा रही है और उनसे मुआवजा की राशि भी वापस नहीं ली जा रही है।

धुरागांव के किसान चमरू पिता बोटी ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिग्रहित जमीन वापस करने से प्रभावित किसानों को बार-बार जिला मुख्यालय जगदलपुर पेशी में जाने से मुक्ति मिलेगी। इससे उनके सहित किसानों को शारीरिक और मानसिक परेशानी से भी मुक्ति मिलेगी। घनश्याम सिंह ठाकुर ने कहा कि जमीन अधिग्रहण के बाद उन्होंने मुआवजा नही लिया था, मुआवजा लेने के लिए उन पर दबाव डाला जाता था। वे पिछले 10 सालों से इसी दबाव में जीवन जी रहे थे। अब हम सभी बिना किसी दबाव के अपना जीवन यापन कर सकेंगे।

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धुरागांव के अनंतराम कश्यप ने कहा कि उनकी 6 एकड़ जमीन के अधिग्रहण से पूरा परिवार परेशान था। उनके पिता श्री गंगूराम कश्यप परेशानी से धीरे-धीरे बीमार रहने लगे और दो साल बाद उनका देहांत हो गया। वे और उनका छोटा भाई खेतिहर मजदूर बनकर जीवन-यापन कर रहे थे अब वे फिर से अपनी जमीन के मालिक बन गए है।

ग्राम बडांजी के बलीराम की तीन फसली उर्वर निजी जमीन अधिग्रहण में चली गई थी। उनका कहना है कि जमीन वापस मिलने से उन्हें अब खेती के लिए ऋण, खाद-बीज मिलने लगेगा और वे सोसाइटी के माध्यम से समर्थन मूल्य पर उत्पादित धान को बेच सकेगें। टाकरागुड़ा ग्राम के बुधराम कश्यप ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के बाद बेटियों की पढ़ाई में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। अधिग्रहण के बाद शासकीय राजस्व दस्तावेज में नाम नहींे होने से वंशावली से संबंधित रिकार्ड नहीं मिल पा रहे थे जिसके कारण उनके बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनवाने में कठिनाईयां आ रही थी। अब आसानी से बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बन सकेंगे। ये किसानों अब जमीन पर खेती-बाड़ी कर नये सिरे से जिंदगी बिताने और अपने घर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में जुट गए हैं।

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