दुखद खबर : वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 साल की उम्र में निधन, 14 भाषाओं में छपते थे कॉलम…जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
भारतीय पत्रकारिता जगत के अहम चेहरा रहे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 साल की उम्र में आज निधन हो गया, बताया जा रहा है कि कुलदीप नैयर बीते तीन दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे, काफी समय में से उनकी सेहत बहुत खराब थी, बुधवार की रात करीब साढ़े बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. आज दोपहर एक बजे लोधी रोड पर स्थित घाट में अंतिम संस्कार होगा |
बता दें कि कुलदीप नैयर कई किताबें लिख चुके हैं, कुलदीप भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यूएनआई, पीआईबी, ‘द स्टैट्समैन’, ‘इण्डियन एक्सप्रेस’ के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे थे, वे पच्चीस वर्षों तक ‘द टाइम्स’ लन्दन के संवाददाता भी रहे हैं |
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और स्तंभकार कुलदीप नैयर नहीं रहे. पत्रकारिता जगत में कई सालों तक सक्रिय रहने के साथ राज्यसभा सांसद रह चुके नैयर अपने लेखन के अलावा विश्वशांति हेतु अपनी सक्रियता के लिए भी जाने जाते हैं. वे एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी थे |
आपातकाल में नैयर- उन्हें 1975 से 77 में लगी इमरजेंसी को लेकर भी जाना जाता है, इस दौरान प्रशासन की ज्यादतियों के खिलाफ उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे समूह का नेतृत्व किया, आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत वे जेल भी गए, उन दिनों, आपातकाल के समय वे उर्दू प्रेस रिपोर्टर थे |
उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिसमें बिटवीन द लाइन्स, डिस्टेंट नेवर: ए टेल ऑफ द सब कॉन्टीनेंट, वॉल एट वाघा, इंडिया पाकिस्तान रिलेशनशिप आदि शामिल है, साथ ही 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ओप-एड लिखते रहे |
उन्हें नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी की ओर से ‘एल्यूमिनी मेरिट अवार्ड’ (1999), रामनाथ गोयनका लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, सिविक पत्रकारिता के लिए प्रकाश कार्डले मेमोरियल अवार्ड (2014), सिविक पत्रकारिता के लिए प्रकाश कार्डले मेमोरियल अवार्ड (2013) से भी सम्मानित किया गया था |