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छत्तीसगढ़ की एक और कीर्तिमान….स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए कोण्डागांव देश में प्रथम….ओवरऑल रैंकिंग में देश भर के महत्वाकांक्षी जिलों में मिला दूसरा स्थान

स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में किए गए सुधार के फलस्वरुप छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले को देश में प्रथम स्थान तथा ओवरऑल रैंकिंग में देश भर के महत्वाकांक्षी जिलों में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। आज नई दिल्ली के सिविल सेवा अधिकारी संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में कोण्डागांव जिले के कलेक्टर नीलकंठ टेकाम को इस उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया गया।

कलेक्टर टेकाम को यह पुरस्कार नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने प्रदान किया। आयोग ने पुरस्कार स्वरुप कोण्डागांव जिले को पांच करोड़ रूपए की राशि प्रदान की। कोण्डागांव जिले को यह स्थान नीति आयोग द्वारा देश भर के महत्वाकांक्षी जिलों में विभिन्न क्षेत्रों में किये गए बेहतर सुधारों के फलस्वरूप इन जिलों के माह नवम्बर और दिसम्बर 2018 के प्रदर्शन के आधार पर प्रदान किया गया है।

नीति आयोग ने 49 विभिन्न सूचकांकों के आधार पर महत्वाकांक्षी जिलों की रैंकिंग तय की है। इन सूचकांकों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि, जल-संसाधन, भौतिक संरचना, वित्तीय समावेशन तथा स्किल डेवलपमेंट जैसे अन्य बिंदु शामिल हैं।

बता दें कि भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा देश भर के अत्यंत पिछडे़ 115 जिलों का तेजी से विकास करने के लिए महात्वाकांक्षी जिलों के रूप में चयन किया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के 10 जिलों का चयन किया गया था। इन जिलों में केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और सिंचाई, बैकिंग सुविधा, कौशल विकास और अधोसंरचना विकास कर इन जिलों में लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

नीति आयोग नई दिल्ली द्वारा जारी डेल्टा रैंकिंग में बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिले ने अखिल भारतीय स्तर पर स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में किए गए सुधार के फलस्वरुप दूसरा स्थान अर्जित किया है।

जिला मुख्यालय में खोला गया सुपोषण केन्द्र
सर्वप्रथम जिले में कुपोषण दर में कमी लाने के लिए ’’स्वच्छता से सुपोषण की ओर बढ़ता कोण्डागांव’’ अभियान प्रारंभ किया गया। इसके अन्तर्गत जिले के पुराने आरएनटी अस्पताल को जिला पोषण पुर्नवास केन्द्र में परिवर्तित करने के साथ 100 बिस्तर वाले केन्द्र की स्थापना की गई। जिले में गंभीर कुपोषित बच्चो की संख्या 6000 के आसपास थी। इसका प्रमुख कारण बच्चों को उचित मात्रा में सही खानपान उपलब्ध ना होना है, इसके लिए जिले के सभी सीएचसी सेन्टर में 10 बेड वाले अस्पताल भी चलाये जा रहे है।

आरएनटी अस्पताल प्रारंभ किये गये पोषण पुर्नवास केन्द्र में 15-15 दिवस के अन्तराल में 100-100 बच्चे उपचारित किये गए और हर माह 200 बच्चो को पौष्टिक आहार एंव अन्य चिकित्सकीय सुविधाएं दी गई। इस तरह बच्चों को गंभीर कुपोषित बच्चों को मध्यम अथवा सामान्य श्रेणी में लाया गया। इस सेन्टर में बच्चे की मां के रहने के भी सुविधा तो थी ही साथ ही उन्हें बच्चांे को सुपोषित रखने संबंधित प्रशिक्षण भी दिया गया।

गौरतलब है कि केन्द्र में सर्वप्रथम दूरस्थ संवेदनशील क्षेत्र जैसे भोंगापाल, मर्दापाल, बयानार, धनोरा, जैसे क्षेत्र के पालकों और उनके बच्चांे को उपचारित करने के काम को प्राथमिकता दी गई। परिणाम स्वरुप अब तक लगभग 17 सौ बच्चे सुपोषण की श्रेणी में आ गए। इसके लिए महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं में आपसी समन्वय पर सर्वाधिक जोर दिया गया एवं मुख्यालय स्तर पर समय-सीमा बैठक में पोषण एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे सुधार पर निगरानी रखी जाती रही, इस संदर्भ में जिला कलेक्टर द्वारा भी प्रति सप्ताह सोमवार को जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जाता है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए अन्य सुधार

कोण्डागांव जिला शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर सुधार की ओर अग्रसर है, जिला निर्माण के समय पढ़ने वाले कुल छात्रों की संख्या 1,23,374 (अक्टूबर 2018 की स्थिति में) थी जो 1,32,742 हो गई है। लड़कियों की संख्या में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि हुई। इसी प्रकार मातृ मृत्यु दर 272 से घटकर 231 हो गई है। जिला निर्माण के समय संस्थागत प्रसव 55 प्रतिशत था जो वर्तमान में 80 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी के रिजल्ट में लगातार सुधार देखा गया। गत् वर्ष हाईस्कूल में उत्तीर्ण छात्रों का प्रतिशत 62 था। जो वर्तमान में बढ़कर 72 प्रतिशत एवं हायर सेकेण्डरी में 64 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया।

कृषि क्षेत्र के सुधार

जिले में 1 लाख 5 हजार परिवार निवास करते है इनमें से अधिकांश लोग खेती पर आश्रित है। जिले के 54 हजार किसान परिवार हैं, जिनमें से 49 हजार आदिवासी वर्ग तथा 5 हजार अनुसूचित जाति, तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के किसानों को कुल 69 हजार एकड जमीन का वनाधिकार पट्टा प्रदान किया गया। इनमें से अलग-अलग क्लस्टर के माध्यम से 35 हजार एकड़ भूमि को संपूर्ण रुप से सिंचित करने समतलीकरण, कंुआ, तालाब, डबरी बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई। इसके लिए मनरेगा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जिला खनिज न्यास निधि एवं विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से प्राप्त राशि का उपयोग करते हुए किसानों की आय में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं।

कौशल विकास से महिला एवं युवाओं को उपलब्ध हुए रोजगार के नए अवसर

जिले में लगभग 54 हजार 440 बेरोजगार पंजीकृत है इसे देखते हुए जिला कलेक्टर द्वारा महिलाओं एवं युवकों का स्व-सहायता समूह बनवाकर उन्हें विभिन्न ट्रेड जैसे सीमेंट पोल निर्माण, चैनलिंक तार, फैंसिंग का निर्माण ,फ्लाईएश ब्रिक्स निर्माण, चेकर टाईल्स निर्माण, कांच की डिजाईनिंग चुड़ी, एलईडी बल्ब का निर्माण कार्य का प्रशिक्षण प्रारंभ करवाया गया। जिसके परिणामस्वरुप वर्तमान में महिलाओं और युवक विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य से जुड़ गए हैं। साथ ही जिले के 40 हजार महिलाओं का समूह बनाकर रेडीमेट गारमेंट, पोषण आहार निर्माण, मध्यान्ह भोजन, सब्जी उत्पादन, कैंटिन संचालन, जनरल स्टोर, मत्स्य पालन जैसे कार्यो से जोड़कर स्व-रोजगार के विभिन्न अवसर उपलब्ध कराये गए।

रोड कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा से ग्रामीणों तक पहुंची सुविधाएं

कोण्डागांव जिले के दूरस्थ अंचलों में वर्षभर निर्बाध तरीके से लोगों का पंचायत, विकासखण्ड एवं जिला मुख्यालय तक आने जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सड़क पुल-पुलिया, रपटा का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, रोजगार गारंटी एवं जिला खनिज न्यास निधि से कराये गए। पिछले वर्ष लोक निर्माण विभाग द्वारा 148 कि.मी. और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना द्वारा 19.43 कि.मी.सड़क एवं 220 पुलिया का निर्माण किया गया। विशेष कर लगभग सालभर-छह महिने तक, विकासखण्ड एवं जिला मुख्यालय से अलग-थलग रहने वाले सौ गांवो को जोड़ने के लिए चुरेगांव, फुण्डेर, बारदा, हड़ेली आदि स्थानों पर खनिज न्यास निधि एवं विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से ह्यूम पाईप पुलिया का निर्माण किया जा चुका है।

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