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प्रदेश में यह पहली बार नहीं मांगी गई हिन्दू संगठनों की जानकारी, पूर्व सरकार में भी मांगी गई थी जानकारी, पुलिस विभाग का सामान्य प्रक्रिया

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से हिन्दू संगठनों के बारे में मांगी गई जानकारी राजनीति तूल पकड़ती जा रही है | कुछ राजनितिक पार्टियां भूपेश सरकार पर प्रदेश के शांत माहौल पर धर्म के नाम पर साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगा रही है, जबकि राज्य शासन इसे पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली का सामान्य प्रक्रिया बता रही है |

जानकारी के अनुसार संगठनों के बारे में जानकारी मांगना यह पुलिस विभाग का एक सामान्य प्रक्रिया है | 2015 में भी बीजेपी सरकार में भी हिन्दू संगठनों के बारे में जानकारी मांगी गई थी | कुछ राजनितिक पार्टियां और संगठन लोगों को गुमराह करने और राज्य में साम्प्रदायिकता फैलाने राज्य सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है |

कुछ राजनितिक पार्टियों ने राज्य सरकार द्वारा हिन्दू संगठनों के बारे में जानकारी मांगने से कांग्रेस सरकार पर धर्म के नाम पर राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा है कि भूपेश सरकार जाति धर्म के नाम से शांत राज्य में अशांति पैदा कर रही है |

 

इस पर कांग्रेस ने पूर्व बीजेपी सरकार द्वारा जारी की गई 26 फरवरी 2015 को जारी पत्र की प्रति भी जारी की है, जिसमें भी हिंदू संगठनों की जानकारी सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से मांगी गई थी। जिसमें जिले में कार्यरत संगठन का नाम, उसका पंजीयन क्रमांक, उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और पदाधिकारियों के नाम, पद-पते की जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही इन संगठनों का उद्देश्य क्या है और अब तक की इनकी गतिविधियों क्या रही हैं। इनकी गतिविधियों का समाज पर प्रभाव की जानकारी मांगी थी |

सभी राज्यों में होता यह
पुलिस अफसरों के अनुसार सभी राज्यों में बीच-बीच में हिंदू, मुस्लिम, छात्र, श्रमिक आदि सभी संगठनों की जानकारी एकत्र की जाती है। राज्य पुलिस मुख्यालय की इंटेलीजेंस शाखा इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करती है।

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