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रमन की सरकार में जिसे बलात्कारी कहा था, जिस अफसर को जेल में डालना चाहते थे भूपेश, उसे दे दिया बड़ा पद….बघेल की मेहरबानी से हर कोई सकते में है, अब हो रही किरकिरी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ताबड़तोड़ ट्रांसफर पोस्टिंग के के चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विवादों से घिर गए हैं  I विवादित पुलिस अधिकारी आईजी कल्लूरी को पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण पद देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विवादों में फंस चुके हैं । जब इस पोस्टिंग पर छत्तीसगढ़ के नए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से पत्रकारों ने पूछा कि वो विवादित एसपी शिवराम प्रसाद कल्लूरी की नई नियुक्ति के बारे में क्या कहना चाहेंगे? साहू का जवाब था, “बेहतर है कि आप इस बारे में मुख्यमंत्री से बात करें.” अपने नक्सल ऑपरेशन के लिए कुख्यात रहे कल्लूरी को नई सरकार में एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण विभाग का आईजी बनाया गया है, इस नियुक्ति ने सूबे के गृह मंत्री सहित तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों को सकते में डाल दिया | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आईजी कल्लूरी के बीच सीधा विवाद बहुत पुराना नहीं है। सोशल मीडिया पर लोग भूपेश बघेल के पुराने ट्वीट शेयर कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या मजबूरी थी कि जिसे खुद भूपेश जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते थे, उस अफसर को एंटी कॅरप्शन ब्यूरो(एसीबी) का प्रमुख बना दिया |

बता दें छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते बुधवार को देर रात पुलिस विभाग में बड़े फेरबदल किए, भूपेश सरकार ने दो रेंज के आईजी बदल दिए, इसके साथ ही रमन सरकार में बस्तर आईजी की जिम्मेदारी निभाते हुए विवादों में रहे एसआरपी कल्लूरी को भी भूपेश सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी दी है, एसआरपी कल्लूरी को एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण विभाग का आईजी बनाया गया है, सरकार के इस निर्णय पर चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है |

क्यों बदनाम हैं कल्लूरी
एसआरपी कल्लूरी 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, 2011 में वो पहली राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियों में आए, दंतेवाड़ा के ताड़मेटला गांव में हुए एंटी नक्सल ऑपरेशन में पुलिस पर आम आदिवासियों के 300 घर जला देने का आरोप लगा, इस ऑपरेशन में 3 आदिवासियों की जान गई. 3 महिलाओं ने पुलिस के खिलाफ बलात्कार की शिकायत भी दर्ज करवाई थी | ताड़मेटला वही गांव था जहां अप्रैल 2010 में हुए नक्सली हमले में 76 सीआरपीएफ जवानों की जान गई थी, उस समय कल्लूरी दंतेवाड़ा जिले के एसएसपी हुआ करते थे, एसआरपी कल्लूरी को 2014 में बस्तर रेंज का आईजी नियुक्त किया गया था, उनके ऊपर कई मामलों में मानवाधिकार के हनन, फेक एनकाउंटर और बलात्कार तक के आरोप लगे थे | 2007 में बलरामपुर की एक आदिवासी महिला लेदा बाई ने कल्लूरी पर बलात्कार का आरोप लगाया, अदालत में दिए अपने बयान में लेदा बाई ने बताया कि आत्मसमर्पण के लिए तैयार उनके पति को कल्लूरी ने गोली मार दी, इसके बाद उनका बलात्कार किया. उन्हें 10 दिन तक हवालात में रखा गया और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, 2016 में कल्लूरी बस्तर रेंज के आईजी हुआ करते थे, उस समय दो महीने में 40 नक्सलियों का एनकाउंटर करके उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थी, कल्लूरी ने सुकमा में 12, कोंडागांव में 5, दंतेवाडा में 3, बीजापुर में 17 नक्सलियों को मार गिराया गया था, इसके कुछ दिन बाद सीपीआई (माओवादी) ने प्रेस रिलीज जारी करके इनमें से 32 एनकाउंटर को फर्जी बताया था, माओवादी प्रवक्ता उइके का कहना था कि इन एनकाउंटर में उनके महज 8 लोग मारे गए हैं, बाकी के लोग आम नागरिक या किसान हैं |

कांग्रेस ने तब लगाया था आरोप, अब दिया ऊंचा पद
हालिया संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को घेरने के लिए शिवराम प्रसाद कल्लूरी को भी एक मुद्दा बनाया था, कांग्रेस ने कल्लूरी पर शोधकर्ता बेला भाटिया के मानसिक शोषण और प्रताड़ना का आरोप लगाया था, इस घटना के बाद कल्लूरी को फरवरी 2017 में माओवाद प्रभावित क्षेत्र से बाहर भेज दिया गया| सरकार ने स्वास्थ्यगत कारणों से छुट्टी पर भेजने की बात कही, तब के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा था, ‘कभी-कभी अच्छा खिलाड़ी भी जब खेल के मैदान से अस्वस्थ हो जाए, तब उसे खेल के मैदान से वापस लौटना पड़ता है |
 तब भूपेश बघेल ने रमन सिंह सरकार पर आरोप लगाया था कि ये केवल दिखावा है, अगर सरकार कल्लूरी को हटाने को लेकर गंभीर है तो उसे तत्काल गिरफ्तार कर उनपर मुकदमा दर्ज करे | छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है, कल्लूरी के ज्यादातर काम रमन सिंह के सरकार में ही हुए हैं. अब ये देखना होगा कि बुधवार को भूपेश बघेल द्वारा कल्लूरी को दी गई बड़ी जिम्मेदारी के बाद वह किस तरह से उसका निर्वाह करते हैं |

जब लगे आरोप
अपने को आदिवासियों का मसीहा और नक्सलियों का काल कहने वाले कल्लूरी पर आरोप भी खूब लगे, कुछ स्थानीय समाजसेवियों ने आरोप भी लगाए कि सरकार की निष्क्रियता से ही नक्सल समस्या का हल नहीं हो रहा है और कल्लूरी इसमें सरकार का पूरा सहयोग कर रहे हैं, वे सरकार का एक मुखौटा हैं, कल्लूरी ने जिन 1200 नक्सलियों का आत्मसमर्पण करवाकर शोहरत बटोरी, उसकी पोल सरकार द्वारा ही गठित एक कमेटी ने खोल दी, कमेटी के मुताबिक 1200 में से केवल तीन नक्सली थे, बाकी सब निर्दोष आदिवासी | कल्लूरी के काल में कई पत्रकार और समाजसेवी कार्यकर्ता अपने आप को असुरक्षित महसूस करते आए हैं |
कल्लूरी के खिलाफ रेप के भी आरोप लगे हैं, लेदा नामक महिला ने आरोप लगाया कि कल्लूरी ने उसके नक्सली पति को आत्मसमर्पण के लिए बुलाया लेकिन उसे गिरफ्तार न करके उसे गोली मार दी और खुद उसके साथ रेप किया |
 2016 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कल्लूरी से मानवाधिकार के उल्लंघन मामले में लगे आरोप पर सफाई भी मांगी लेकिन कल्लूरी ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया |

कल्लूरी को एसीबी और ईओडब्ल्यू चीफ नहीं बनाया गया : भूपेश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि एसआरपी कल्लूरी को एसीबी या ईओडब्ल्यू का चीफ नहीं बनाया गया है। एसीबी और ईओडब्ल्यू के मुखिया डीजीपी डीएम अवस्थी हैं। उनके मातहत कल्लूरी की नियुक्ति की गई है। कल्लूरी के विवाद को देखते हुए उनकी नियुक्ति नक्सल क्षेत्र में नहीं की गई है। कल्लूरी अधिकारी हैं तो उनकी नियुक्ति तो कहीं न कहीं करनी ही पड़ेगी।

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