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नहीं रहे पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी….आज सुबह ली अंतिम सांस….CM रमन सिंह बोले – पत्रकारिता के एक सुनहरे युग का अंत, ‘बेटी के बिदा’ जैसी सुप्रसिद्ध कृति के रचयिता पंडित चतुर्वेदी को सादर श्रद्धांजलि

प्रदेश के साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी का आज सुबह निधन हो गया ।  पंडित श्यामलाल लंबे समय से बीमार चल रहे थे । बिलासपुर के निजी अस्पताल में आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली । उनकी उम्र 94 साल की थी । मुख्यमंत्री डॉ .रमन सिंह ने श्री चतुर्वेदी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है |

श्यामलाल चतुर्वेदी का जन्म 1926 में बिलासपुर के कोटमी गांव में हुआ था, बिलासपुर के श्यामलाल चतुर्वेदी को साहित्य, शिक्षा व पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया था | बता दें कि वे अपने वक़्त में वे रायपुर-बिलासपुर करीब 114 किलोमीटर साइकिल से आना-जाना करते थे, वे छत्तीसगढ़ में कुछ प्रमुख अखबारों के प्रतिनिधि भी रहे हैं | पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी की कहानी संग्रह ‘भोलवा भोलाराम’ को काफी सराहना मिली, वे छत्तीसगढ़ी के गीतकार भी रहे. उनकी रचनाओं में ‘बेटी के बिदा’ प्रसिद्ध रचना है | श्यामलाल चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पहले चेयरमैन थे । पण्डित श्यामलाल चतुर्वेदी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस वर्ष 3 अप्रेल को राष्ट्रपति भवन नईदिल्ली में आयोजित समारोह में पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया था |

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट कर पण्डित श्यामलाल चतुर्वेदी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में साहित्य और पत्रकारिता के एक सुनहरे युग का अंत हो गया | छत्तीसगढ़ के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार व पत्रकार पद्मश्री पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी जी को उनके निधन पर सादर श्रद्धांजलि। ‘बेटी के बिदा’ जैसी सुप्रसिद्ध कृति के रचयिता पंडित चतुर्वेदी जी का लेखन, पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अतुलनीय है । मुख्यमंत्री ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है |

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