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छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं – डॉ पाठक

छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष  के.आर. पिस्दा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी राजभाषा को काम-काज की भाषा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सबकी सहभागिता से निरंतर प्रयास करने की जरूरत है। इस दिशा में उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में अधिक से अधिक साहित्यिक रचनाओं के प्रकाशन की आवश्यकता बतायी।

बता दें कि आज बुधवार को राज्य सरकार के संस्कृति और पुरातत्व विभाग तथा छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था |  महंत घासीदास संग्रहालय परिसर स्थित सभागृह में दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ लोेक सेवा आयोग के अध्यक्ष के.आर. पिस्दा ने किया।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के माध्यम से छत्तीसगढ़ी-हिन्दी और छत्तीसगढ़ी-अंग्रेजी में शब्दकोष प्रकाशित किए गए हैं। जिन्हें विश्वविद्यालयों, पुस्तकालयों में उपलब्ध कराया गया है। सरकारी काम-काज में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा आयोग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन किया गया है। केन्द्र और राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए आयोग द्वारा राजभाषा समन्वय समिति का गठन किया गया है |

डॉ विनय पाठक ने बताया कि राजभाषा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस दौरान वरिष्ठ कवि गणेश सोनी प्रतीक, डॉ. चितरंजन कर, रामेश्वर शर्मा, आशीष सिंह ठाकुर और डॉ. राहुल सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किए।

रायपुर संभाग के कमिश्नर जी.आर. चुरेन्द्र ने कहा कि हमें अपने घर, परिवार, समाज और कार्यालयों में बोलचाल में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए। वही पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील त्रिवेदी ने कहा कि बड़े अधिकारी आम जनता से छत्तीसगढ़ी में बातचीत करें तो धीरे-धीरे काम-काज भी छत्तीसगढ़ी में प्रारंभ होगा।

इस दौरान कवर्धा के वरिष्ठ कवि गणेश सोनी प्रतीक, भाषा वैज्ञानिक तथा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. चितरंजन कर सहित वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार तथा प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।

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