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चुनावी मौसम में TV पर सबसे ज्यादा विज्ञापन देने वाली पार्टी बनी BJP, कांग्रेस टॉप-10 में भी नहीं !…BJP ने कई नामचीन कंपनियों को पछाड़ा

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान टीवी चैनलों को विज्ञापन देने के मामले में सबको पीछे छोड़ते हुए बीजेपी नंबर एक विज्ञापनदाता बन गई है, ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 16 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में बीजेपी ने विज्ञापन देने के मामले में विमल पान मसाला को पीछे छोड़ दिया है, रिपोर्ट के मुताबिक विज्ञापन देने के मामले में बीजेपी कई बड़ी कंपनियां नेटफ्लिक्स, होटलों के प्राइज कंपेयर करने वाली साइट ट्रिवागो, हिंदुस्तान यूनिलीवर और अमेजन से बहुत आगे है | विज्ञापन देने के मामले में नंबर एक बनने को लेकर बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि इस पेशे से जुड़े लोगों का कहना है कि ये तो अभी शुरुआत है, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आएंगे राजनीतिक पार्टियों की ओर से मिलने वाले विज्ञापन की संख्या बढ़ेगी, विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं जबकि लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय ऐसे में टीवी राजनीतिक विज्ञापनों का स्लॉट और बढ़ेगा |

पिछले हफ्ते थी नंबर दो

रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा इससे पहले वाले हफ्ते में नंबर दो पायदान पर थी। वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी विज्ञापन देने में टॉप 10 में भी नहीं है। गौरतलब है कि पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मतदान का चरण पूरा हो चुका है, लेकिन अन्य राज्यों में मतदान होना बाकी है।

यह दिग्गज कंपनियां भी हो गई पीछे

विज्ञापन देने के मामले में हिंदुस्तान यूनिलीवर, रैकिट बेंकिसर, अमेजन, नेटफ्लिक्स, विमल पान मसाला और ट्रिवागो भी इस समय टीवी पर विज्ञापन देने के मामले में काफी पीछे हो गई हैं। 16 नवंबर को समाप्त हुए हफ्ते की रिपोर्ट जारी करते हुए बार्क ने कहा कि भाजपा सभी चैनलों पर नंबर एक विज्ञापनदाता हो गई है।

टॉप 10 में यह हैं शामिल 

बार्क द्वारा जारी की गई लिस्ट के अनुसार भाजपा (22099) के साथ पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर नेटफ्लिक्स (12951), ट्रिवागो (12795), संतूर साबुन (11222), डेटॉल (9487), वाइप (9082), कोलगेट (8938) डेटॉल साबुन (8633), अमेजन प्राइम विडियो (8031), अयूर फेस क्रीम (7962) शामिल हैं।

बढ़ेगी विज्ञापनों की संख्या

विज्ञापन कंपनियों के मुताबिक चुनावी सीजन अभी शुरू हुआ है। इसमें आम चुनावों के समय और बढ़ोतरी होगी। राज्यों में हो रहे चुनाव के समय केवल स्थानीय मुद्दे ही हावी रहते हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों के विज्ञापन ज्यादा बढ़ सकते हैं।

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