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हे अटलजी, इन्हें माफ करना..!

अटल जी यदि स्वर्ग से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को देख रहे होंगे तो शायद रो पड़े होंगे । उनकी आत्मा रो रही होगी । उनके जीवन की सारी समस्याओं, सिद्धांतों का तार तार होना देखकर यही कहा जा सकता है कि हे अटल जी, इन्हें माफ करना ।

यह नहीं जानते कि आपने अपने जीवन में कैसे सिद्धांतों को आत्मसात किया था । आपकी तपस्या का भी इन्हें भान नहीं है। यह तब की भाजपा नहीं रही जब आप नेता हुआ करते थे। यह अब की भाजपा है जो सत्ता के मद में चूर है, जिसे जीवन और मौत सब उत्सव नजर आता है। बस सत्ता चाहिए ।

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हो सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को सचमुच दुख हुआ होगा लेकिन हरिद्वार के बाद जहां-जहां भी अस्थियां गई वहां दुख से ज्यादा भाजपाइयों को आप की अस्थियों का कलश सत्ता का नया रास्ता दिख रहा है।

आपका दुनिया छोड़कर जाना इनके लिए मानो कोई उत्सव हो गया। एक दिन पहले रायपुर में दो मंत्रियों को मंच पर खिलखिलाते और मजाक करते देख कर कौन कहेगा कि भाजपा इन दिनों सदमे में है। फिर रायगढ़ में तो अस्थिकलश को मानो ट्राफी समझ लिया गया ।सिर पर रख कर लोग खुशियां मनाते दिखे।मानो यह किसी चैंपियनशिप की जीत का जश्न हो।यह कैसा उत्साह और कैसा संस्कार है कि पार्टी के महानतम व्यक्ति की मौत पर भी इन्हें गम नहीं है ।

अटल जी की यादों को योजनाओं, भवनों,संस्थाओं के नाम के रूप में सहेज लेना बस पर्याप्त नहीं है।सच्ची श्रद्धांजलि तो तब होगी जब आम भाजपाई अटल जी के व्यक्तित्व से कुछ सीख ले, समाज में उनके जैसी नरम छवि बना ले। पर इस दौर में ऐसा कुछ दिखता नहीं है। पार्टी का एक तबका यह सब देख कर छुब्ध है है लेकिन मौन है । वहीं आम मतदाता यह देख कर समझने लगा है कि अटल जी का बताया मार्ग और भाजपा का नया रास्ता एक तो नहीं दिखता । यह सब देख कर यही कहा जा सकता है कि अटल जी इन्हें माफ करना । यह नहीं जानते कि आप क्या थे और आपके विचार क्या थे।

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