राजनीति

अजीत जोगी का बड़ा बयान….FIR के खिलाफ जायेंगे कोर्ट, बोले – भूपेश के विधि सलाहकारों को नियमों का ज्ञान नहीं….कानून बनने से पहले बने सर्टिफिकेट पर केस दर्ज करने पर जताई आपत्ति

बिलासपुर में एफआईआर दर्ज होने के बाद अजीत जोगी  ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। जोगी ने कहा है कि डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में उनके विधि सहलाकर को नियम का ज्ञान था, इसलिए उनपर कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन भूपेश के कार्यकाल में उनके विधि सलाहकारों को नियमों का ज्ञान नहीं है । उन्होंने कहा कि अनुछेद 20 के अनुसार आपराधिक कार्यवाहियां पुरानी तारीख को किये गए तथाकथित अपराधों पर लागू नहीं होती हैं। कानून बनने के बाद ही कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि मेरे पास एससीएसटी अधिनियम में 2013 का प्रमाण पत्र है। जोगी ने कहा कि मैं अपने विधि सलाहकारों से चर्चा करुंगा उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा ।
अजीत जोगी ने कानून बनने के पहले की जाति पर आये फैसले पर एफआईआर दर्ज करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है । अजीत जोगी ने कहा कि जो केस उनके खिलाफ दर्ज किया गया है, वो एसटी, एससी व ओबीसी अधिनियम लागू होने से पहले के केस पर नियम विरूद्ध दर्ज किया गया है । जोगी ने कहा कि 2013 को कानून बना इस लिए ये कानून 2013 के बाद के सर्टिफिकेट पर लागू होगा ना कि उसके पहले के सर्टिफिकेट पर । जोगी ने कहा कि उनके खिलाफ एसटी, एससी, ओबीसी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। अजीत जोगी ने कहा कि जिस कानून का भूत लक्षित प्रभाव नहीं उसको आधार बनाकर केस दर्ज करा दिया गया ।

जोगी ने कहा कि कानून बना 2013 में और 1986 में बने सर्टिफिकेट पर एफआईआर दर्ज करा दी | एफआईआर दर्ज होने के मामले में अजीत जोगी जल्द ही याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार से लेकर पुलिस तक इस मामले में वो पार्टी बनायेंगे ।

बता दें कि अजीत जोगी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में एफ आई आर दर्ज की गई है। उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं होना बताया है। इस रिपोर्ट के बाद कलेक्टर की ओर से निरस्तीकरण के लिए ज्ञापन पुलिस अधीक्षक और सिविल लाइन थाने को सौंपा गया। पुलिस के अनुसार ज्ञापन के आधार पर अजीत जोगी के खिलाफ अपराध क्रमांक 559 /19, अनुसूचित अजा, जजा, पिछड़ा वर्ग और सामाजिक प्रास्थिति प्रमाणीकरण विनिमयन की धारा 10, 1 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह गैरजमानती धारा है, जिसमें अधिकतम 2 वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

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