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IAS गोपीनाथ का इस्तीफा, कहा – बोलने और सवाल करने की आजादी खत्म हो गई थी….2018 में बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री अपने कंधे पर रखकर लोगों तक पहुंचाई थी

आईएएस गोपीनाथ कन्नन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वह अभी संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात थे, वे 2012 बैच के आईएएस अफसर थे | । वे इन दिनों पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी के सेक्रेट्री पद पर कार्यरत थे।  वे कश्मीर कैडर के चर्चित IAS अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में अपनी सर्विस से इस्तीफा देने वाले दूसरे IAS अधिकारी बन गए हैं।

चर्चा है कि मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से वे नाखुश थे। हालांकि उन्होंने इसको लेकर कुछ नहीं बोला है, लेकिन इतना जरूरत कहा कि वो अपनी आजादी चाहते हैं। बातचीत में कन्नन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वो अपनी सोच को आवाज नहीं दे पा रहे हैं इसलिए अपनी आवाज को वापस पाने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय किया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गोपीनाथ ने यह फैसला उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर लिया है और मैं अपने सिद्धांत के साथ समझौता नहीं कर सकता। मौजूदा सरकार और यूटी प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपनी सर्विस नियमावली का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।

आपको बता दें कि गोपीनाथ कन्नन तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत सामग्री अपने कंधे पर रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। उस दौरान पूरे देश में उनके इस कार्य की सराहना हुई थी।
चुनाव के दौरान भी चर्चा में रहे
वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से भी मौजूदा यूटी प्रशासन के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें सिलवासा कलेक्टर पद से हटाकर कम महत्व के विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई थी। गोपीनाथ कन्नक सिलवासा कलेक्टर रहते हुए सराहनीय कार्य किया था।

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