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हाईकोर्ट से बर्खास्त संयुक्त कलेक्टर संतोष देवांगन को मिली बड़ी राहत…कोर्ट ने अवैध प्लाटिंग जुर्माना मामले में किया बाइज्जत बरी

बर्खास्त ज्वाइंट कलेक्टर संतोष देवांगन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है | कोर्ट ने आज अवैध प्लाटिंग के जुर्माना मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें अवैध प्लाटिंग के जुर्माना मामले में बाइज्जत बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ज्वाइंट कलेक्टर संतोष देवांगन का कोई भूमिका नहीं था | बाबुओं ने डेढ़ लाख रुपए फाइन को नोटशीट बदलकर 15 हजार कर दिया था।

बता दें कि 18 जून 2009 को बिलासपुर के तत्कालीन एसडीएम संतोष देवांगन ने कॉलोनाइजर चितपाल सिंह वालिया पर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 6 (घ) (छ) व कॉलोनाइजर नियम 1999 के तहत डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। कुछ दिन बाद देवांगन ने कॉलोनाइजर को आर्थिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पुराने आदेश को पलटकर नया आदेश जारी कर दिया।

इसकी शिकायत मिलने पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच के बाद संयुक्त कलेक्टर संतोष देवांगन के खिलाफ धारा 467, 468, 471, 420, 120 बी, 13/1 डी, 13/2 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया। एसीबी ने उन्हें 6 दिसंबर 2014 को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल दाखिल किया।

वही इसके बाद संतोष देवांगन ने फर्जी मामले में फंसाए जाने की बात कहते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय में जमानत आवेदन पेश किया गया था | उन पर आरोप था कि उन्होंने बिलासपुर में जब वे एसडीएम थे, उस समय अवैध प्लाटिंग के एक केस में उन्होंने डेढ़ लाख रुपए जुर्माना किया था। बाद में नोटशीट बदलकर डेढ़ लाख को पंद्रह हजार कर दिया गया।

जून 2017 में ट्रॉयल कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई। इसके कारण उनकी नौकरी भी चली गई। सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। जबकि, वे आईएएस के दावेदार थे। अगर बर्खास्त नहीं हुए होते तो पिछले साल उन्हें आईएएस अवार्ड हो गया होता।

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि नीचे के बाबुओं ने डेढ़ लाख रुपए फाइन को नोटशीट बदलकर 15 हजार कर दिया था। इसमें संतोष की कोई भूमिका नहीं थी।

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