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अंतागढ़ टेपकांड मामले में पेशी होने से पहले मचा बवाल….अमित जोगी ने CM भूपेश और SIT टीम पर जमकर साधा निशाना, कहा- भूपेश की स्टूपिड इन्वेस्टिगेशन टीम को क़ानून का क, ख, ग नहीं मालूम….देखिए वीडियों

अंतागढ़ टेप कांड मामले में एसआईटी द्वारा जेसीसीजे प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी को वॉइस सेम्पल के लिए नोटिस भेजे जाने के बाद सियासत गर्म हो गई | अमित जोगी ने जवाबी पत्र लिखते हुए कहा है कि मीडिया और माइक के माध्यम से मुख्यमंत्री को इतने वाईस सैम्पल दूँगा की उनके कान पक जाएँगे, लेकिन उनके द्वारा गठित ‘भूपेश जाँच दल’ को तब तक सैम्पल नहीं दूँगा जब वे अपने नोटिस में 4 बातों- मूल रिकॉर्डिंग उपकरण के साथ धारा 65 B IT ऐक्ट का प्रमाणपत्र, किस क़ानूनी प्रावधान के अंतर्गत, किस SIT के सदस्य के द्वारा और किस न्यायालय के आदेश से- का ख़ुलासा नहीं करते |

बता दें कि आज एसआईटी की टीम ने अंतागढ़ टेपकांड मामले में वॉइस सेम्पल के लिए अमित जोगी को नोटिस भेजा है | नोटिस मिलने के बाद अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही एसआईटी टीम पर जमकर हमला बोला है |

अमित जोगी ने जवाब में लिखा है कि
अड़ानी के साथ बंद कमरे में क्या सौदा हुआ, उसका जवाब देने से बचने के लिए पहले तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मेरी माँ के नाम को घसीटा और जब प्रदेश में उनकी थू-थू होने लगी तो आज मुझे एक अज्ञात व्यक्ति के दस्तखत वाले लव-लेटर नुमा ग़ैर क़ानूनी नोटिस भेज दिया: अमित जोगी

-नोटिस पढ़ने के बाद एक बात तो स्पष्ट हो गई कि ये स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम नहीं स्टूपिड इन्वेस्टिगेशन टीम है जिसे क़ानून का क ख ग नहीं मालूम। उनको पता होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में भारत के संविधान और क़ानून का राज है, भूपेश का नहीं: अमित जोगी

-मीडिया और माइक के माध्यम से मुख्यमंत्री को इतने वाईस सैम्पल दूँगा कि उनके कान पक जाएँगे लेकिन उनके द्वारा गठित ‘भूपेश जाँच दल’ को तब तक सैम्पल नहीं दूँगा जब वे अपने नोटिस में 4 बातों- मूल रिकॉर्डिंग उपकरण के साथ धारा 65 B IT ऐक्ट का प्रमाणपत्र, किस क़ानूनी प्रावधान के अंतर्गत, किस SIT के सदस्य के द्वारा और किस न्यायालय के आदेश से- का ख़ुलासा नहीं करते: अमित जोगी
– इसके लिए मैं ‘स्टूपिड इन्वेस्टिगेशन टीम’ को 7 दिन का समय देता हूँ अन्यथा उनसे भेंट अब न्यायालय में ही होगी: अमित जोगी

(1) उपरोक्त नोटिस में आपके द्वारा ज़ब्त करे गए ‘विभिन्न गवाहों से अपराध से सम्बंधित पेनड्राईव जिसमें वाईस रिकॉर्डिंग मौजूद है’ का सर्वप्रथम भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) सहपाठित सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology Act) की धारा (65) उपधारा (B) के अंतर्गत साक्ष्य में ग्राह्य होने के लिए अनिवार्य रूप से ऐसे ज़ब्त मूल उपकरणों के साथ संलग्न प्रमाणपत्र मुझे प्रस्तुत करें, तदोपरांत ही आपके द्वारा वैधानिक रूप से मुझसे वाईस सैम्पल लेने का नोटिस दिया जा सकता है। मुझे अंत्यंत खेद है कि आपकी SIT को इतना भी मौलिक क़ानूनी ज्ञान नहीं है!

(2) अतः आपके द्वारा मुझे भेजा गया उपरोक्त नोटिस पूर्णतः द्वेषपूर्ण, अवैधानिक और ग़ैर-क़ानूनी है।

(3) अगर इस पत्र की कंडिका (1) में उल्लेखित वैधानिक एवं क़ानूनी जानकारी के संज्ञान के बावजूद आप मुझे इस पत्र की प्राप्ति के एक सप्ताह के अंतर्गत उपरोक्त (A) प्रमाणपत्र, (B) जिस क़ानूनी प्रावधान के अंतर्गत, (C) जिस SIT के सदस्य के द्वारा और (D) जिस न्यायालय के आदेशानुसार विधिवत तरीक़े से प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो मुझे अपने वैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए आपके द्वारा की जा रही विवेचना के अंतर्गत भेजे गए उपरोक्त द्वेषपूर्ण, अवैधानिक और ग़ैर-क़ानूनी नोटिस के विरुद्ध माननीय न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा।

(4) आपको यह भी जानकारी होगी कि छत्तीसगढ़ के माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार आपका तथाकथित SIT, जिसके अस्तित्व को ही मेरे द्वारा चुनौती दी जा चुकी है, मेरे विरुद्ध कोई भी प्रतिरोधी (coercive) कार्यवाही करने से प्रतिबंधित है। आपका उपरोक्त द्वेषपूर्ण, अवैधानिक और ग़ैर-क़ानूनी नोटिस भी ‘Coercive’ की परिधि में आता है, जिसकी सूचना भी अतिरिक्त आवेदन के रूप में मेरे द्वारा छत्तीसगढ़ के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उपरोक्त विचाराधीन प्रकरण के माध्यम से संज्ञान में लाया जाएगा।

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