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CM से आश्वासन मिलने के बाद आदिवासियों ने खत्म किया आंदोलन…..पंचायत संघर्ष समिति ने आंदोलन खत्म करने का किया एलान

अपनी इष्ट देव पहाड़ी पहाड़ को बचाने के लिए अडानी की कंपनी को एनएमडीसी के 13 नंबर लोह अस्यक खदान देने के विरोध में आंदोलन कर रहे आदिवासियों ने आंदोलन खत्म कर दिया है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आश्वासन मिलने के बाद पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे आदिवासियों ने राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेट देते हुए आंदोलन खत्म कर दिया है | पंचायत संघर्ष समिति ने अपना आंदोलन वापस लेने का एलान किया है |

बता दें कि जल, जंगल, जमीन के लिए सालों से लड़ाई लड़ रहे है आदिवासी समाज ने अब अपनी इष्ट देव पहाड़ी पहाड़ को बचाने के लिए अडानी की कंपनी को एनएमडीसी के 13 नंबर लोह अस्यक खदान देने के विरोध में पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे थे | हजारों के तादाद में आदिवासियों ने एनएमडीसी के चेकपोस्ट को घेरा हुआ ही और वहां धरना प्रदर्शन किया जा रहा था | इस विरोध प्रदर्शन को पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी समेत सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा नक्सलियों ने भी अपना समर्थन दिया था |

कल बुधवार को एनएमडीसी के चेयरमैन एन बैजेंद्र कुमार ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस चेयरमैन बैजेंद्र कुमार ने सरकार से इस दिशा में सहयोग का अनुरोध किया था। जिसके बाद देर रात सरकार की तरफ से अल्टीमेटम प्रदर्शनकारियों को दिया गया ता। 12 बजे रात तक की मोहलत दी गयी और फिर सुबह होते-होते प्रदर्शनकारियों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया। हालांकि आंदोलनकारियों ने इस बात की चेतावनी दी है कि अगर तय वक्त तक आश्वासन को पूरा नहीं किया गया तो इससे भी उग्र प्रदर्शन किया जायेगा।

बताया जा रहा है कि अडानी ग्रुप ने सितंबर 2018 को बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी बीआईओएमपीएल नाम की कंपनी बनाई और दिसंबर 2018 को केन्द्र सरकार ने इस कंपनी को बैलाडीला में खनन के लिए 25 साल के लिए लीज दे दी |
बैलाडीला के डिपॉजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है, जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था, इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था |

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