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एक जुलाई से बदल जाएगा SBI का नियम…..सीधे आपके खाते पर होगा असर…. जाने कैसे

आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती किए जाने के बाद एसबीआई ने 1 जुलाई से बैंकिंग नियम में बदलाव करने का ऐलान किया है, जिसका सीधा असर एसबीआई के 42 करोड़ ग्राहकों पर पड़ने वाला है |

एसबीआई की ओर से कहा गया है कि 1 जुलाई से रेपो रेट से जुड़े होम लोन ऑफर किए जाएंगे. इसका मतलब यह हुआ की अगले महीने से एसबीआई की होम लोन की ब्याज दर पूरी तरह रेपो रेट पर आधारित हो जाएगी |

बता दें कि रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर दी है. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है. RBI ने रेपो रेट 6 फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसदी से घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है. मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (MSFR) 6.25 फीसदी और बैंक रेट 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है. रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल और फरवरी में भी ब्याज दरों में कटौती की थी |

एसबीआई द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में बदलाव का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने के उद्देश्य से सेविंग डिपॉजिट और कम अवधि के कर्ज की ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने का फैसला एक मई 2019 से लागू होगा। हालांकि इससे एसबीआई के सभी ग्राहकों को फायदा नहीं होगा। नया नियम सिर्फ उन्हीं खातों पर लागू होगा, जिनमें एक लाख रुपए से अधिक राशि हो।

अगर इसे आसान भाषा में समझें तो रिजर्व बैंक जब-जब रेपो रेट में बदलाव करेगा उसी आधार पर एसबीआई की होम लोन की ब्‍याज दर भी तय होगी |

वर्तमान में आरबीआई के रेपो रेट के बदलाव के बाद भी एसबीआई अपने हिसाब से होम लोन पर ब्‍याज दरों में कटौती या बढ़ोतरी करता है. बता दें कि बीते गुरुवार को आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर

आगे ऐसी परिस्थितियों में एसबीआई का होम लोन भी लगातार सस्ता होगा, हालांकि, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने की स्थिति में SBI होम लोन की ब्याज दरें भी स्थिर रहेंगी |

एसबीआई द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में बदलाव का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने के उद्देश्य से सेविंग डिपॉजिट और कम अवधि के कर्ज की ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने का फैसला एक मई 2019 से लागू होगा। हालांकि इससे एसबीआई के सभी ग्राहकों को फायदा नहीं होगा। नया नियम सिर्फ उन्हीं खातों पर लागू होगा, जिनमें एक लाख रुपए से अधिक राशि हो।

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