देश - विदेश

क्या एग्जिट पोल हमेशा सही होते हैं? कई बार सर्वे एजेंसियों रहा फेल्योर….कई ऐसे चुनाव जिसमें एक्जिट पोल पूरी तरह से हो गए थे फेल….हैरान कर देने वाले नतीजे आए थे सामने

अंतिम चरण के मतदान संपन्न होने के बाद से ही लोकसभा चुनाव का एक्जिट पोल आना शाम से ही शुरू हो गया है | एक्जिट पोल के माने तो इस बार फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हुए दिखाई दे रहे है | एक्जिट पोल में एनडीए बहुमत की आकड़े को पार कर रही है | हालंकि सभी न्यूज़ चैनलों के आंकड़े अलग- अलग है, लेकिन सभी के सर्वे में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बन रही है |

अब सवाल ये है की क्या इन एक्जिट पोल को सही ठहराया जाए, क्योकि कई बार देखा गया है की चुनाव के नतीजों एक्जिट पोल के विपरीत आया है | इसलिए कई लोग इन आकड़ों को नकार रहे है, तो कई लोग इन आकड़ो पर न सिर्फ भरोसा जता रहे है बल्कि इन आकड़ो से कही ज्यादा सीट जीतने की बात कर रहे है | लेकिन एक बात सच है कि एग्जिट पोल्स के आंकड़े हमेशा सही साबित नहीं हुए हैं, बल्कि कई बार एग्जिट पोल के आंकड़ों में भारी उलट फेर देखने को मिल चुका है |

विधानसभा चुनाव के दौरान भी कई राज्यों में एक्जिट पोल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलते हुए बताया गया था, लेकिन जब परिणाम आया तो एक्जिट पोल के विपरीत थे | बीजेपी को बुरी तरह से हार मिली थी |

अभी हाल ही में हुई छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल में बीजेपी को औसतन 40 सीटें और कांग्रेस को 46 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन जब नतीजे आए तो कांग्रेस को 68 सीट मिली था, जबकि 15 साल से सरकार में रहे बीजेपी सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट गई थी |

वही बात करे 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने तो पूरे देश की ही चौंका दिया था, इस चुनाव के एग्जिट पोल में किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि साल 2012 में अस्तित्व में आने वाली आम आदमी पार्टी तीन साल बाद 2015 में राजधानी दिल्ली में एक तिहाई से भी ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाएगी, 70 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में आम आमदी पार्टी ने 67 सीटें अपने नाम की थी. जबकि बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं, इस चुनाव में 15 साल से लगातार सत्ता में रही कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी |

2009 में भी फेल हुए Exit Poll
2009 का लोकसभा चुनाव भी एक तरह से सर्वे एजेंसियों का फेल्योर रहा. इस चुनाव में एजेंसियों ने UPA को 199 और NDA को 197 सीटें दी थीं. जबकि यूपीए जबरदस्त बढ़त लेते हुए 262 सीटें हासिल कर ली. बीजेपी नीत एनडीए 159 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.

2004 के लोक सभा चुनाव में सारी एजेंसियों के आंकलन पर पानी फिर गया था, सारी एजेंसियों ने औसतन 255 सीटें एनडीए को दी थी, लेकिन काउंटिंग के दिन एनडीए 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी, एनडीए 189 सीटों तक सिमट कर रह गई थी, बीजेपी 138 सीटों पर सिमट गई थी. जबकि इसी चुनाव में यूपीए को 183 सीटों का अनुमान था, जबकि उसे 222 सीटें मिली थी. बाद में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी |

साल 2014 लोकसभा चुनाव
साल 2014 में एनडीए ‘मोदी लहर’ पर सवार होकर 336 सीटों के साथ सत्ता में आई थी. लेकिन तब एग्जिट पोल में सिर्फ टुडेज चाणक्य ने एनडीए का आकड़ा 300 के पार जाने का अनुमान लगाया था. इसको छोड़कर बाकी सबका अनुमान गलत साबित हो गया था. चाणक्य ने एनडीए को 340 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था और बीजेपी को 291 सीटें. जबकि बीजेपी 282 सीटें जीती थी.

बिहार विधान सभा चुनाव पर नजर
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी Exit poll सटीक नहीं बैठे थे. सभी एग्जिट पोल्स में बीजेपी+ को जेडीयू-आरजेडी गठबंधन पर बढ़त बताई गई थी, लेकिन नतीजे ठीक उलट आए थे. बीजेपी+ 58 सीटों पर सिमट गई, जबकि जेडीयू-आरजेडी गठबंधन ने 178 सीटों के साथ सत्ता की कुर्सी पर बैठी थी.

Back to top button
close