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Report : लोकसभा चुनाव लड़ने वालों में किसानों की संख्या सबसे अधिक, 200 उम्मीदवारों ने खुद को बताया बेरोजगार…..गृहणियां भी आजमा रही किस्मत

लोकसभा चुनाव में किस्मत इस बार सबसे ज्यादा किसान आजमा रहे है, एडीआर द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की ओर से दाखिल हलफनामों के अनुसार 24 फीसदी उम्मीदवार ‘खेती’ से जुड़े हैं, जिन्होंने अपना पेशा कृषि से संबंधित बताया है |

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), अशोक यूनिवर्सिटी की त्रिवेणी सेंटर फॉर पोलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) और इंडिया टुडे के डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (डीआईयू) ने अपने रिसर्च में पाया कि कुल उम्मीदवारों में से 24 फीसदी उम्मीदवार ‘खेती’ से जुड़े हैं. इस लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की ओर से दाखिल हलफनामों के अनुसार 24 फीसदी उम्मीदवारों ने अपना पेशा कृषि से संबंधित बताया |

खेती के अलावा 17 फीसदी उम्मीदवारों ने अपना पेशा ‘बिजनेस’ से जुड़ा बताया है. इसके बाद ‘सोशल वर्क’ (7.3 फीसदी), ‘एडवोकेट’ (5.4 फीसदी), ‘नौकरी’ (4.2 फीसदी) और दिहाड़ी मजदूर (3.5 फीसदी) से जुड़े उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

इसके अलावा 200 उम्मीदवारों (3 फीसदी) ने अपने हलफनामे में खुद को ‘बेरोजगार’ बताया. चुनाव लड़ने वालों में रिटायर लोगों की भी बड़ी संख्या है. करीब 300 (4.2 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने पेशा स्टेटस में खुद को रिटायर्ड बताया.खेती के अलावा 17 फीसदी उम्मीदवारों ने अपना पेशा ‘बिजनेस’ से जुड़ा बताया है. इसके बाद ‘सोशल वर्क’ (7.3 फीसदी), ‘एडवोकेट’ (5.4 फीसदी), ‘नौकरी’ (4.2 फीसदी) और दिहाड़ी मजदूर (3.5 फीसदी) से जुड़े उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं |

इसके अलावा 200 उम्मीदवारों (3 फीसदी) ने अपने हलफनामे में खुद को ‘बेरोजगार’ बताया, चुनाव लड़ने वालों में रिटायर लोगों की भी बड़ी संख्या है, करीब 300 (4.2 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने पेशा स्टेटस में खुद को रिटायर्ड बताया |

किसानों को बीजेपी से ज्यादा टिकट

अब बात करते हैं कि राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के बारे में. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सबसे ज्यादा उम्मीदवार कृषि से संबंधित लोगों को बनाया. खेतीहर समाज से जुड़े 70 लोगों को बीजेपी ने टिकट दिया है. बीजेपी के बाद कांग्रेस ने 66, बहुजन समाज पार्टी ने 56, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने 24, बहुजन मुक्ति पार्टी ने 18 और शिवसेना ने 15 लोगों को उम्मीदवार बनाया है.

दूसरी ओर, पेशे के आधार पर फिर से चुनाव लड़ रहे सांसदों की बात करें तो 85 उम्मीदवारों ने अपना पेशा ‘खेती’ बताया, जबकि 39 ने राजनीति, 30 ने सोशल वर्क, 28 ने बिजनेस और 11 ने एडवोकेट बताया.

बिजनेसमैन पर मेहरबान मायावती

राज्य के आधार पर देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में किस्मत आजमा रहे कुल उम्मीदवारों में से 32 फीसदी लोगों ने अपना पेशा ‘खेती’ बताया. जबकि अन्य राज्यों में खेती से जुड़े सर्वाधिक उम्मीदवारों में तेलंगाना (23.7 फीसदी), बिहार (20.45 फीसदी), मध्य प्रदेश (20.32 फीसदी), उत्तर प्रदेश (19.6), राजस्थान (18.8 फीसदी) और झारखंड (18.34 फीसदी) से मैदान में हैं.

मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी से सबसे ज्यादा बिजनेसमैन अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बीएसपी ने 85 कारोबारियों को टिकट दिया है. इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 68-68 बिजनेसमैन उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा है.

गृहणियां भी चुनाव मैदान में

अब बात करते हैं गृहणियों की. लोकसभा चुनाव में चुनावी समर में ताल ठोंकने वाली ‘गृहणियों’ की संख्या में इजाफा हुआ है. डीआईयू ने अपने रिसर्च में पाया कि इस बार 120 ‘गृहणियों’ ने अपनी दावेदारी पेश की है.

बतौर ‘गृहणी’ सबसे ज्यादा उम्मीदवार तमिलनाडु से हैं जहां पर 18 महिलाओं ने उम्मीदवारी पेश की है तो उत्तर प्रदेश में 16, महाराष्ट्र में 15 और आंध्र प्रदेश में 10 ‘गृहणी’ टक्कर दे रही हैं.

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